Thursday 21 January 2021

एक देश एक चुनाव से खर्चा घटेगा,समय बचेगा,सरकार आराम से विकास के कार्य करेगी।

प्रश्न:- एक देश एक चुनाव से खर्चा घटेगा,समय बचेगा,सरकार आराम से विकास के कार्य करेगी। उतर:- पहली बात तो आपको यह स्पष्ट हो जानी चाहिए कि हमारे सभी नैता भ्रष्ट है(ऐसा ना मानने वाला व्यक्ति नैताऔ के इमानदारी के बारे में कोई उदाहरण बताए,इस पर अलग चर्चा करेगें)।लेकिन जो लोग एसा मानते है कि हाँ नैता भ्रष्ट है।उन लोगो से मेरा यह सवाल है कि फिर प्राईवेट क्षेत्र में आखिर एसा क्या जादू है ?जिसके कारण लोग वहाँ इमानदारी दिखा रहे है।आप ढुंढोगे तो पाओगे कि उनको नौकरी जाने का डर है(यदी आप इससे अलग कारण जानते हो तो बताए)।बस यही कारण है कि प्राईवेट क्षेत्र के लोगो को मजबूरी में इमानदारी दिखानी पड़ती है।बाकि बेइमानी इनमे भी इतनी ही है जितनी नैताओ या अधिकारियों व सरकारी कर्मचारियों में है। तो अब यह बताओ कि भारत के मतदाताओं के पास एसी क्या ताकत है जिससे यह सरकारी लोगो को नौकरी से हटाकर इमानदार बना सके।कुछ भी नहीं है।बस उस सरकारी लोगो (सबंधित विभाग के मत्रीं,विधायक, सासंद) को हटाने के लिए पांच साल तक प्रतीक्षा करनी ही पड़ेगी।और जब चुनाव आते है तो यह सभी नैता कितना माथा टेकते है जन्ता के आगे(इस दौरान यदी जन्ता इनको बोले कि पिछले साल के किसी चुनाव में आपने अमुख वादा किया था लेकिन पुरा नहीं किया,क्यो?बस यही कारण है कि यह नैता लोग थोड़ी बहुत इसी डर के कारण इमानदारी दिखाने को मजबूर होकर विकास करते है )तो अभी हमारे पास मात्र यही एक ओपशन है इन नैताओ को थोड़ा इमानदार बनाने का।लेकिन सभी चुनाव एक साथ हो गए तो यह अधिकार हमारे हाथ से निकल जाएगा और यह नैता और ज्यादा देश को बरबाद करेगें। दुसरी बात हमारे देश में सबसी बड़ी समस्या पेसै या बजट कमी कि नहीं है(यदी होती तो स्वीच बैंक में कालाधन इतना जमा नहीं हो जाता,सडधक छाप नैता करोड़पति नहीं बन जाते) बड़ी समस्या है भ्रष्टाचार।जिसके कारण जो भी बजट है वो पुरा विकास कार्यो में खर्च नहीं होता।(राजीव गाँधी ने खुद कहा था कि 100रु जारी होता है उसमे सिर्फ 15खर्च होता है जो आज भी जारी है)तो हमे यह 85रु भी खर्च हो विकास कार्यो में,इस पर फोक्स करना चाहिए या इस पर कि और टैक्स दें हम सरकार को या खर्चा घटाए सरकार का,,आजादी से लेकर आज तक कितने बड़े -बड़े घोटाले हुए?आप तुलना करके सोचो कि हमे इस बड़ी समस्या घोटालो को रोकना चाहिए या और बजट देना चाहिए इन घोटालो के लिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबसे इमानदार जन्ता को माना जाता है(होती भी है तुल्नात्मक रुप से)।इसलिए पुर्ण लोकतंत्र मे सभी नैता अधिकारी जन्ता के हर समय कट्रोंल में रहना जरूरी है वर्ना यह राष्ट्र का विनाश कर देगें(यह हमारे क्रान्तिकारियों के वचन है )।एसे में बहुत सारे लोग इस देश में वोटवापसी पासबुक, जूरीकोर्ट जेसै जरूरी कानून कि मांग कर रहे है।ताकि पुरा लोकतंत्र स्थापित हो।लेकिन सरकार तो "एक देश एक चुनाव" करके जो लोकतंत्र है उनको भी कमजोर कर रही है। और दुख कि बात यह है कि जनता इस अहितार्थ कदम को पैड मिडिआ कि झुठी बातो में आकर हितार्थ समझ बेठी है।

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