Tuesday 13 June 2017

केजरीवाल जी कभी भी 85 % आरक्षण के लिए आंदोलन नही चलाएंगे

केजरीवाल जी कभी भी 85 % आरक्षण के लिए आंदोलन नही चलाएंगे ।

क्योंकि केजरीवाल जी कुल मिलाकर सवर्ण हिंदुओं की ही सत्ता को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे है ।

केजरीवाल जी सिर्फ नौटँकी और ड्रामा ही करते हैं, लेकिन नौटँकी और ड्रामों  से दंगे फसाद नही रोके जा सकते ।

नौटँकी और ड्रामों से  ब्राह्मणवाद तथा बेरोजगारी भी खत्म नही किये जा सकते ।

सच यही है, कि SC, ST, OBC और मुस्लिम समाज के लोगों के लिए 85 % आरक्षण लागू किये बिना भारत में कोई भी क्रान्ति नही हो सकती ।

और केजरीवाल जैसे नेता कभी भी 85 % आरक्षण लागू नही करेंगे ।

इसीलिए केजरीवाल जैसे ड्रामेबाज़ों से बचिए ।

देशभर के विभिन्न राज्यों में स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां जारी है ।

देशभर के विभिन्न राज्यों में स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां जारी  है ।

इन छुट्टियों के दौरान बहुजन समाज के शिक्षक अनेक ऐतिहासिक और पर्यटक स्थलों की सैर कर रहे हैं, यह खुशी की बात है कि अपनी जिंदगी को तरोताजा रखना चाहिए । 

जिंदगी में ताजगी के लिए ऐसा जरूरी है ,लेकिन  सभी  साथी ,शिक्षकगण साथी पे बेक टु सोसायटी की तरफ भी ध्यान दें । 

जिन महापुरुषों की बदौलत हमें शिक्षक बनने का मौका मिला ,क्या हम वह दायित्व निभा पा रहे हैं ? 

 जो त्याग और समर्पण हमारे महापुरूषों ने हमारे लिए किया ,जिसकी वजह से आज हम शिक्षक हैं ,कर्मचारी हैं या नेता है ,तो क्या हम ऐसा त्याग और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए कर रहे हैं  ?  

या 

मनोरंजन करके और अपने परिवार का ,या अपना ही पेट भरने का काम कर रहे हैं ? 

 यदि ऐसा ही हमने किया साथियों तो आने वाला समय माफ नहीं करेगा । 

इस देश में गैरबराबरी की व्यवस्था मौजूद है वह हमें बर्बाद कर देगी और हम यह घूमना फिरना सब भूल जाएंगे तो इसलिए साथियों गैरबराबरी की व्यवस्था के खिलाफ लड़ो और इस को जड़ से उखाड़ फेंको । 

जय भीम जय मूलनिवासी।

भीम गीत....

पानी-मंदिर दूर थे, मुश्किल कलम-किताब |
दांव लगा जब भीम का, कर दिया सब हिसाब ||३||

ऊँचेपन की होड़ में, नीचे झुका पहाड़ |
कदम पड़े जब भीम के, हो गया शुद्ध महाड़ ||४||

पारस ढूँढें भीम को, आँख बहाये नीर |
पढे-लिखे हैं सैंकड़ों, नही भीम सा वीर ||५||

दिल में सब जिंदा रखे, बुद्ध, फुले व कबीर |
छोड़ वेद-पुराण सभी, भीम हुए बलवीर ||६||

झूठ और पाखंड की, सहमी हर दुकान |
भेदभाव से जो परे, रच दिया संविधान ||७||

रोटी-कपड़ा-मकान का, दिया हमें अधिकार |
पूज रहे तुम देवता, भूल गये उपकार ||८||

भेदभाव का विष दिया, सबने कहा अछूत |
जग सारा ये मानता, था वो सच्चा सपूत ||९||

भीम तब दिन-रात जगे, दिया मान-सम्मान |
लाज रखो अब मिशन की,अर्पित कर दो जान ||१०||

👶🏻 ज्योतिष 👼🏿......🤑 Let's know about truth

👶🏻 ज्योतिष 👼🏿

🤑 Let's know about truth

अक्सर अख़बार पढ़ते समय इसमें दिए गए ज्योतिष कॉलम पर नज़र पड़ ही जाती है । अगर आप डेली नजर डालते हैं (चूंकि आप इस मानसिक रोग से पीड़ित हैं) तो आप शायद गौर नहीं करते कि जो आज ज्योतिष के बारे में बताया गया होता है वह पिछले सप्ताह या दो तीन हफ्ते पहले पढ़ा हुआ ही लगता है । यानि की हफ्ते दो हफ्ते बाद ज्योतिष कॉलम को थोडा बहुत रद्दो बदल के छाप दिया जाता है , संपादक इस चालाकी पर बहुत कम लोगो की नजर जाती है ।
इन भविष्य वाणियों में अधिकतर वही बाते होती हैं जिन्हें मनुष्य अपने बारे में सुनना या पढ़ना चाहता है । कौन मनुष्य अपने को सच्चा और उदार नहीं समझता? 
कौन अपने को समझदार और कठिन परिश्रम करने वाला नहीं मानता?कौन नहीं दुखी है ?
कौन नहीं चाहता की कोई ऐसा मिल जाये जो उससे सहानभूति के दो चार शब्द ऐसे कहे की उसके अच्छे दिन आने वाले हैं ? 
व्यक्ति के इस मानसिकता को ज्योतिष अच्छी तरह जानते हैं और जानते हैं की बातो को कैसे घुमाया जाता है । 
इसी कला का प्रयोग कर के वे व्यक्ति की कमजोरी भांप जाते हैं और उसी प्रकार दस बीस मेन पॉइंट्स बना लेते हैं जो अधिकतर व्यक्तियो के जीवन में कॉमन होती हैं । 
ज्योतिषी अच्छे और सुखद दिनों के सब्जबाग तो दिखाते ही हैं उसके साथ उपाय भी करने को बताते हैं ताकि व्यक्ति को यह न लगे की उसके अच्छे दिन आसानी से आ जायेंगे या दुःख इतनी जल्दी मिट जायेंगे । इसके लिए वे विभिन्न उपाय बताते हैं जैसे , रंग बिरंगे और कीमती रत्न पहनना, तिल तेल आदि दान करना , चींटियों - पक्षीयो को दाना डालना , व्रत - पाठ आदि करना । जिससे व्यक्ति को कुछ मेहनत या पैसे खर्च करने पड़े ऐसे उपाय बताये जाते हैं । 

अखबार में तो ज्योतिष का कॉलम इसलिए होता है की संपादक को पता होता है की उसके लाखो पाठक इस अन्धविश्वास के जाल में उलझें है और वे अख़बार इसी कॉलम के लिए ही लेते हैं ।
परन्तु जो लोग ज्योतिषी के पास जाके जन्मकुंडली, हस्तरेखा आदि दिखवाते हैं ज्योतिषी उनसे भविष्य बताने के ऐवज में मोटी रकम झटक लेता है और ऐसे उपाय बताता है की यदि आपके अच्छे दिन न भी आये या आपके दुःख दूर न भी हों तो आप उस पर धोखा धड़ी का इल्जाम नहीं लगा सके । 
जैसे किसी से कहा की 21  दिन तक ठीक सुबह 5 बाजे आप गाय को रोटी दीजिये , अब कभी बीच में आप ठीक 5 बजे गाय को रोटी न डाल के 5 बज के 1 मिनट पर डालते हैं तो वह कह देगा की आपने ठीक समय पर रोटी नहीं डाली थी इसलिए उपाय फेल हो गया ।

दुखो से मुक्ति पाना और सुखमय जीवन जीने की कामना करना मनुष्य का स्वभाविक गुण है इसमें कोई गलत बात नहीं है  पर इसके लिए फलित ज्योतिष पर भरोसा करना अंधविश्वासियों और एक तरह से निकम्मो का काम है जिन्हें अपने पुरुषार्थ पर भरोसा नहीं रहता । जिन्हें अपनी मेहनत और पुरुषार्थ पर भरोसा नहीं रहता वह भाग्यवादी बन जाता है और कुण्डलियाँ , जन्मपत्री, हस्तरेखा ,ग्रहनाक्षत्र, भविष्यवाणियो पर यकीं करने लगता है और फलित ज्योतिषियों जैसे ठगों के जाल में फंस जाता है ।
*जन्म पत्रिका बनाने वाला-ज्योतिष,*
*जन्म पत्रिका समझाने वाला-ज्योतिष,*
*जन्म पत्रिका से दोष निकालने वाला-ज्योतिष,*
*और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि 
     दोष पर उपाय बताने वाला भी ज्योतिष,*
*वाह क्या धंधा निकाला है ज्योतिषो ने.*
.
*ये धंधा ज्योतिषी के ज्ञान पर नहीं,*
*लोगों के अज्ञान पर टिका है।*

आप ज्योतिष के स्थान पर मुफ्तखोर या पांखडी अथवा परजीवी भी रख सकते हैं!       

आपका कर्तव्य है की आप स्वयं इन फलित ज्योतिषियों ठगों से मुक्त रहें और दुसरो को भी मुक्त रखने की कोशिश करें ।🙏🏻

Monday 12 June 2017

अधिकांश ब्राह्मण (इस धरती के )शैतान है ।कैसे ?

अधिकांश ब्राह्मण (इस धरती के )शैतान है ।कैसे ?


1) छूत - अछूत किसने बनाय*ब्राह्मण* ने
2 ) एकलव्य का अंगुठा किसने काटा � *ब्राह्मण* ने
3 ) वर्ण व्यवस्था किसने बनाइ *ब्राह्मण* ने
4 ) वर्ण व्यवस्था मे शुद्रों को शिक्षा से वंचित किसने किया *ब्राह्मण* ने
5 ) शुद्रों को 6746 जाती मे किसने बाँटा
*ब्राह्मण* ने ।
6 ) छत्रपती शिवाजी महाराजा को शुद्र कहके राज्य भिषेक का विरोध किसने किया *ब्राह्मण* ने
7 ) छत्रपती शिवाजी महाराज की हत्या किसने की *ब्राह्मण* ने
8 ) मौर्यवंश के अंतिम शासक ब्रुहद्रथ मौर्य की हत्या किसने की *ब्राह्मण* ने
9) भगवान बुद्ध के देश को अन्धविशवास और जाति वर्ण मे किसने बाटा *ब्राह्मण* ने ।
10 ) राष्ट्रपिता जोतीराव फुलें का विरोध किसने किया *ब्राह्मण* ने ।
11 ) माता सावित्रीबाई फुलें को लड़कियों को शिक्षा देने की वजह से गोबर फेक कर किसने मारा *ब्राह्मण* ने ।
12 ) गो हत्या पाप हे, त्रीग्वेद मे विष्णु को गाय की बली देने का आदेश शुद्रों को किसने दिया ।*ब्राह्मण* ने
13)मूलनिवासियोंको गुलाम किसने बनाया � *ब्राह्मण* ने
14 ) डॉ बाबासाहबआंबेडकरका विरोध कौन करता था *ब्राह्मण*
15 ) शुद्रों को मंदिर मे जाने से किसने रोका
*ब्राह्मण* ने
16 ) भारत देश मे मनुस्मुर्ती का कानून किसने लागू किया � *ब्राह्मण* ने
17 ) संत तुकाराम महाराज की हत्या किसने की � *ब्राह्मण*
18 ) मुगलों ने दी हुई गाली हिंदू इसका इस्तमाल करके मुगलों की वफादारी कौन कर रहा है *ब्राह्मण*
19 ) शुद्रों के गले मे मट्का और सर पर चपल किसने रखने लगवाया *ब्राह्मण*
20 ) 52 साल तक किसने भारत देश का तिरंगा नही लहराया 2002 सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से लेहराना शुरू किया।
� *ब्राह्मण* ने ।
इससे साबित है कि भारत के लोगों के दूश्मन केवल और केवल ब्राह्मण हैं अन्य कोई!

RESERVATION IN OTHER COUNTRIES

RESERVATION IN OTHER COUNTRIES


दुनिया के निम्नलिखित देशो में मिलता है आरक्षण (Reservation/Affirmative Action):-
आजकल देश में दलित (OBC, SC & ST) आरक्षण के विरोध मे आंधी सी चल रही है। आरक्षण के खिलाफ बेहूदे और बेतुके तर्क किये जाते है। सबसे पहला तर्क होता है कि दूसरे देशो मे आरक्षण नहीं दिया जाता इसलिये वे देश हमसे ज्यादा प्रगितिशील है जो बिल्कुल गलत है। विदेशो मे भी आरक्षण की पद्धति है। अमेरिका, चीन, जापान जैसे देशों में भी आरक्षण है और इसे ईमानदारी से दिया जाता है।
बाहरी देशों में आरक्षण को Affirmative Action कहा जाता है। Affirmative Action का मतलब समाज के "वर्ण " तथा "नस्लभेद" के शिकार लोगो के लिये सामाजिक समता का प्रावधान है ।
1961 को संयुक्त राष्ट्र की बैठक मे सभी प्रकार के वर्ण, नस्लभेद व रंगभेद के खिलाफ कड़ा कानून बनाया गया। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र में सम्मिलित सभी देशो ने अपने देश के शोषित वर्ग (दलित) की मदद करके उन्हें समाज की मुख्य धारा मे स्थापित करने का निर्णय लिया। इसी फैसले के तहत ही शोषितों और वंचितो को उठाने के लिए अलग अलग देशो ने अपने अपने तरीके से आरक्षण लागु किया है।
ऊपर कहे गए देश अमेरिका, जापान और भारत के अलावा अन्य देशो ने भी आरक्षण दिया है जिन मे से कुछेक निम्नलिखित हैं :-
1. हमारे पडोसी देश पाकिस्तान मे बडी मुश्किल से 5% दलित हैं लेकिन उन्हें ईमानदारी से 6% आरक्षण दिया जाता है।
2. आरक्षण के कारण दक्षिण अफ्रीका टीम में 4 अश्वेत खिलाडियों का चयन जरूरी होता है।
3. अमेरिका में affirmative action) के तहत अश्वेतों को आरक्षण मिला हुआ है। वहां की पिक्चरों में भी अश्वेत कलाकारों का आरक्षण निर्धारित है। वहाँ कोई पिक्चर या विभाग ऐसा नहीं मिलेगा जिसमें अश्वेत/काले न हो। अमेरिका ने तो आज से 155 साल पहले 4 मार्च, 1861 को दलित (अब्राहम लिंकन) को अपना राष्ट्रपति बना दिया था। अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक अश्वेत, मुस्लिम और छोटे तबके के हैं।तभी तो अमेरिका तरक्की की दुनिया में अन्य देशों से काफी आगे हैं। भारत में तो सम्पूर्ण हिस्सेदारी पर कुछे लोग कुंडली मारकर कब्जा जमा रखा है.. इसीलिये वे समाज मे भ्रांति फैलाने के लिए आरक्षण/
हिस्सेदारी का आऐ दिन विरोध करते रहते हैं।
4. ब्राझील में आरक्षण Vestibular नाम से जाना जाता है ।
5. कनाडा में समान रोजगार का तत्व है जिसके तहत फायदा वहाँ के असामान्य तथा अल्पसंख्यकों को होता है ।
6. चीन में महिला और तात्विक अल्पसंख्यको के लिये आरक्षण है ।
7. फिनलैंड मे स्वीडीश लोगो के लिये आरक्षण है ।
8. जर्मनी में जिमनॅशियम सिस्टम है ।
9. इसरायल में Affirmative Action के तहत आरक्षण है ।
10. जापान जैसे सबसे प्रगतिशिल देश में भी बुराकूमिन लोगो के लिये आरक्षण है (बुराकूमिन जापान के हक वंचित दलित लोग हैं )
11. मॅसेडोनिया में अल्बानियन के लिये आरक्षण है ।
12. मलेशिया में भी उनकी नई आर्थिक योजना के तहत आरक्षण लागू हुआ है ।
13. न्यूजीलैंड में माओरिस और पॉलिनेशियन लोगो के लिये Affirmative Action का आरक्षण है ।
14. नॉर्वे के पीसीएल बोर्ड मे 40 % महिला आरक्षण हें।
15. रोमानिया मे शोषण के शिकार रोमन लोगों के लिये आरक्षण है ।
16. दक्षिण आफ्रिका मे रोजगार समता (काले गोरे लोगो को समान रोजगार) आरक्षण है ।
17. दक्षिण कोरिया मे उत्तरी कोरिया तथा चीनी लोगों के लिये आरक्षण है ।
18. श्रीलंका मे तमिल तथा क्रिश्चियन लोगो के लिये अलग नियम अर्थात आरक्षण है ।
19. स्वीडन मे General Affirmative Action के तहत आरक्षण मिलता है ।
अगर इतने सारे देशों में आरक्षण दिया जाता है (जिनमे कई विकसित देश भी शामिल है) तो फिर भारत का आरक्षण किस प्रकार भारत की प्रगति में बाधक है। भारत में तो लोग सबसे ज्यादा जातिभेद के ही शिकार हैं । भारतीय शुद्रो/दलितो को तो हजारों सालों से उनके मौलिक अधिकारों से ही वंचित कर गुलाम बना कर रखा। तो फिर भारतीय दलितो को आरक्षण क्यों न मिले?
जब तक भारत के सभी जाति धर्म के लोग शिक्षा, सेना, सभी प्रकार की नौकरी, संसाधन तथा सरकार में समान रुप से प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे , तब तक देश वांछनीय प्रगति नहीं कर पाएगा। अगर सभी देश प्रगति के लिए सभी लोगों को साथ लेकर चल रहे हैं तो फिर भारत क्यों नहीं।

जय भीम.....जय संविधान.....जय भारत

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Saturday 10 June 2017

साधू -संत और सैनिक

उदय एक भारतीय
*साधू -संत और सैनिक-.....*

भारत में छोटे बड़े मिला के लगभग एक करोड़ के करीब तथाकथित साधू , संत, आचार्य, पंडा, पुजारी, महात्मा आदि होंगे जिनका मुख्य कार्य ही  धर्म के नाम  लेकर बिना  श्रम  अपना पेट भरना होता है ।

अधिकतर साधू-संत जनता को तरह तरह के प्रवचन और कथा सुना के जिनका शायद ही ये खुद अपने जीवन में पालन करते हों उन प्रवचनों और कथाओं के सुनने के एवज में मोटा धन लेते हैं

यह भी हास्यास्पद होता है की एक तरफ तो ये साधू संत अपने प्रवचनों में जनता से त्याग और अपरिग्रह  की बात करते हैं , धन को मोहमाया बताते हैं किन्तु खुद  बड़ी बड़ी गाड़ियॉ में घूमते और आलीशान बंगलो , मठो / आश्रमो में निवास करते हैं । स्वयं से धन और पुजवाने का मोह नहीं त्यागा जाता इनसे।

फ़र्ज़ी राष्ट्रवादियो की आज भारत की दो मुख्य समस्याएं हैं , एक तो चीन और पाकिस्तान की सीमाओ पर आक्रमण का खतरा

यदि इन एक करोड़ साधू संतो आदि  का सही उपयोग किया जाए तो भारत की ये दोनों समस्याये जड़ से ख़त्म हो सकती हैं ।

देश को बिना किसी खर्च के अच्छे सैनिक और अच्छे श्रमिक मिल सकते हैं ।

यंहा सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है की हर साधू संत कुछ ऐसी विशेषता रखने का दावा करता है जो आम इंसानो में नहीं मिलती , इस दृष्टि से इन साधू संतो की एक ऐसी फ़ौज तैयार हो सकती है जो लाजबाब होगी

1- लगभग  हर साधू संत आदि यह मानता है और  उपदेश देता है की शरीर नाशवान है तथा  आत्मा अजर- अमर । ये कहते हैं की  इंसान को भौतिक शरीर का मोह नहीं करना चाहिए । ये बाते एक सैनिक जिसके लिए पग पग पर जिंदगी को खतरे में डालना होता है उसके लिए प्रेरणादायक होगी । चुकी साधू संत मौत से नहीं डरेंगे और दुगने उत्साह से लड़ेंगे ,इन्हें न जीवन का मोह होगा और न मौत का भय । इसलिए सैनिको के रूप में साधू संतो को देशभक्ति का परिचय देने का सुअवसर मिलेगा।

2- साधू संतो को सैनिक बना के देने से एक बहुत बड़ा लाभ यह मिलेगा की सेना पर होने वाले खर्चो में कटौती होगी । साधू संत त्यागी और अपरिग्रही कहे जाते हैं , वे धन और पैसा को मोहमाया मानते हैं परिणाम स्वरूप् उन्हें पैसे यानि सेलरी की कोई इच्छा नहीं होगी न ही पेंशन की टेंशन होगी । सरकार को युद्ध में मारे गए सैनिक के परिवार वालो को आर्थिक सहायता देनी होती है , रिटायर होने पर पेंशन देनी पड़ती है । साधू संतो के बारे में सरकार को इन समस्याओ की चिंता नहीं करनी पड़ेगी ।

3- जैसा की साधू संत दावा करते हैं की उनकी आवश्यकताये सिमित होती है , साधू संत धूप, बरसात, सर्दी गर्मी सब सह सकते हैं । इसलिए एक साधू सैनिक रेगिस्तान में भी उतनी ही सफलता से लड़ेगा जितना की लद्दाख में ।

4- साधू संत गृह त्यागी होते हैं,रिश्ते नाते उनके लिए बंधन होते है । साधू संतो को सैनिक बना देने से बहुत बढ़ा लाभ यह होगा की वे युद्ध के मैदान में निश्चित होके लड़ सकते हैं , उन्हें माँ बाप, भाई बहन, पत्नी बच्चों की याद नहीं आएगी । अधिकतर साधू संत ब्रह्मचर्य का उपदेश देते हैं तो यह बड़ा अच्छा रहेगा की सैनिक बन के उनका ब्रह्मचार्य भी बचा रहेगा ।

5- साधू संतो को सैनिक बनाने के विपक्ष में लोग यह तर्क दे सकते हैं की उनका मानसिक स्तर युद्ध के अनुकूल नहीं होता । पर यदि देखेंगे तो सभी साधू संतो आदि ने युद्ध को आवशयक बताया है ,ग्रन्थ जिन्हें वे दिन रात रटते रहते हैं उनमे युद्ध भरे पड़े है ।  फिर जब कोई साधारण मनुष्य सैनिक में भर्ती होता है तो उसका मानसिक स्तर भी युद्ध के अनुकूल नहीं होता , सेना उसे ट्रेनिंग देती है हथियार चलाने का और युद्ध लड़ने का। साधू संतो को भी ट्रेनिंग देके उन्हें अच्छा योद्धा बनाया जा सकता है ।

यदि सरकार इस तरफ विचार करे तो साधू संतो के रूप में  एक कम खर्चे वाली और जबरजस्त युद्ध करने वाली  सेना तैयार हो सकती है जिससे देश का भी भला होगा और बिना श्रम के सभी भौतिक लाभ लेने वाले साधू -संतो का भी ।


अब थोड़ा आप भी सोचीये

साला सोच सोच कर दिमाग हिल गया पर कुछ कही भी कोई ढंग की कड़ी ही नहीं मिल रही है 

अब थोड़ा आप भी सोचीये 

बच्चे पैदा करने के अजीबो गरीब तरीके जानिए ब्राह्मण कैसे बच्चों को पैदा करवाने की Technology बताते है जो संसार में कही किसी देश में नहीं पायी जाती 

ब्रह्मा ने ब्राह्मण को अपने मुँह से पैदा किया 
छत्रिय को भुजाओ से 
वैश्य को जाँघो से और
शुद्र को अपने पैरों से 

राम लक्षमण भरत शत्रुघ्न उनकी माताओ के द्वारा खीर खाने से पैदा हुए 

राजा जनक का एक नग्न स्त्री को देखकर वीर्य टपक गया जो धरती में गिरा अगले दिन सीता एक बलीहारे के खेत में पायी गयी 

हनुमान के पसीने से एक मादा मगरमच्छ pregnant हो गयी और उसने मगरधवज को जनम दिया 

हनुमान की को पवन ने हनुमान की माता अंजनी को गर्भवती किया हनुमान हवा में पैदा हो गए यानि बैटिंग किसी और की छक्का कोई और मार गया

कमल से ब्रह्मा पैदा हुए 
फिर ब्रह्मा ने अपनी पार्शव ( पसलिया ) रगड़ी तो दाई पसलियों से विष्णु और बाई से शिव पैदा किया 
इसी कड़ी में शिव ने अपने माथे का पसीना पोछकर जमीन की तरफ झटका तो विष्णु और अपनी जाँघ रगड़ी तो ब्रह्मा पैदा हुए 

पता नहीं किसने किसको पैदा किया 
और ब्राह्मण क्या साबित करना चाहते है 

पार्वती ने मिट्टी से गणेश की निर्माण किया
विष्णु की नाक से सूअर का जन्म हुआ
पांडवो की माता जंगल में गयी तो पाँच पांडवो का जन्म हुआ 

असुरो के अतिक्रमण की वजह से त्रिदेवो ब्रह्मा विष्णु महेश की बोहे तन गयी और तीनो देवो के मुख से एक तेज निकला जो एक हो गया और वैष्णवी (दुर्गा ) का जन्म हुआ ???

" "जागो बहुजन जागो" जिन पाखंडियों की पाखंडी व्यवस्था ने तुम्हें सदियों तक जानवर बना रखा,
धिक्कार है तुम पर अगर ऐसी गंदी व्यवस्था को आज भी मान रहे हो तो।

अब यार मुर्ख बनाने की और बनने की भी कोई हद भी होती है कही?

भारत की राजनीति समझना है तो जरूर पढ़ें

भारत की राजनीति समझना है तो जरूर पढ़ें

1977 मेँ जनता पार्टी की सरकार बनी जिसमे*मोरारजी  ब्राह्मण थे* जिनको _जयप्रकाश नारायण_ द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिऐ नामांकित किया था। 
चुनाव मेँ जाते समय *जनता पार्टी* ने अभिवचन दिया था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वे *काका कालेलकर कमीशन* लागू करेंगे। जब उनकी सरकार बनी तो *OBC का एक प्रतिनिधिमंडल* मोरारजी को मिला और *काका कालेलकर कमीशन* लागू करने के लिऐ मांग की मगर _मोरारजी_ ने कहा कि _*कालेलकर कमीशन*_ की रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, इसलिए अब बदली हुई परिस्थिति मेँ नयी रिपोर्ट की आवश्यकता है। *यह एक शातिर बाह्मण की OBC को ठगने की एक चाल थी*। 
प्रतिनिधिमडंल इस पर सहमत हो गया और *B.P. Mandal* जो बिहार के यादव थे, उनकी अध्यक्षता मेँ *मंडल कमीशन* बनाया गया। 

बी पी मंडल और उनके कमीशन ने पूरे देश में घूम-घूमकर 3743 जातियोँ को OBC के तौर पर पहचान किया जो 1931 की जाति आधारित गिनती के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 52% थे। मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट मोरारजी सरकार को सौपते ही, पूरे देश मेँ बवाल खङा हो गया। जनसंघ के 98 MPs के समर्थन से बनी जनता पार्टी की सरकार के लिए मुश्किल खङी हो गयी। 
उधर *अटल बिहारी बाजपेयी* के नेतृत्व मेँ जनसंघ के MPs ने दबाव बनाया कि अगर मंडल कमीशन लागू करने की कोशिश की गयी तो वे सरकार गिरा देंगे। दूसरी तरफ OBC के नेताओँ ने दबाव बनाया ।
*फलस्वरूप अटल बिहारी बसजपेयी ने मोरारजी की सहमति से जनता पार्टी की सरकार गिरा दी।* 
इसी दौरान भारत की राजनीति मेँ एक Silent revolution की भूमिका तैयार हो रही थी *जिसका नेतृत्व आधुनिक भारत के महानतम् राजनीतिज्ञ कांशीराम जी कर रहे थे*। 
कांशीराम साहब और डी के खापर्डे ने 6 दिसंबर 1978 में अपनी बौद्धिक बैँक *बामसेफ* की स्थापना की जिसके माध्यम से पूरे देश मेँ OBC को मंडल कमीशन पर जागरण का कार्यक्रम चलाया। *कांशीराम जी के जागरण अभियान के फलस्वरूप देश के OBC को मालुम पड़ा कि उनकी संख्या देश मेँ 52% मगर शासन प्रशासन में उनकी संख्या मात्र 2% है।* *_जबकि 15% तथाकथित सवर्ण प्रशासन में  80% है। इस प्रकार सारे आंकङे मण्डल की रिपोर्ट मेँ थे जिसको जनता के बीच ले जाने का काम कांशीराम जी ने किया।_* 
अब OBC जागृत हो रहा था। उधर अटल बिहारी ने जनसंघ समाप्त करके BJP बना दी। 1980 के चुनाव मेँ संघ ने इंदिरागांधी का समर्थन किया और इंन्दिरा जो 3 महीने पहले स्वयं हार गयी थी 370 सीट जीतकर आयी।

*इसी दौरान गुजरात में आरक्षण के विरोध में प्रचंड आन्दोलन चला*।
 *_मजे की बात यह थी कि इस आन्दोलन में बङी संख्या OBC स्वयँ सहभागी था_*, *क्योँकि ब्राह्मण-बनिया "मीडीया" ने प्रचार किया कि जो आरक्षण SC,ST को पहले से मिल रहा है वह बढ़ने वाला है।* 
गुजरात में अनु. जाति के लोगों के घर जलाये गये। *नरेन्द्र मोदी* इसी आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता थे। 

कांशीराम जी अपने मिशन को दिन-दूनी रात-चौगुनी गति से बढा रहे थे।
ब्राह्मण अपनी रणनीति बनाते पर
उनकी हर रणनीति की काट कांशीराम जी के पास थी। *कांशीराम ने वर्ष 1981 में DS4 ( DSSSS) नाम की "आन्दोलन करने वाली विंग" को बनाया।* जिसका नारा था *'ब्राह्मण बनिया ठाकुर छोङ बाकी सब हैं DS4!'* 
DS4 के माध्यम से ही कांशीराम जी ने एक और प्रसिद्ध नारा दिया *"मंडल कमीशन लागु करो वरना सिँहासन खाली करो।'* इस प्रकार के नारो से पूरा भारत गूँजने लगा।

1981 में ही *मान्यवर कांशीराम* ने *हरियाणा का विधानसभा* चुनाव लङा, 1982 मेँ ही उन्होने *जम्मू काश्मीर का विधान सभा* का चुनाव लङा। 
*अब कांशीराम जी की लोकप्रियता अत्यधिक बढ गयी।*
 *_ब्राह्मण-बनिया "मीडिया"_* ने उनको बदनाम करना शुरू कर दिया। उनकी बढती लोकप्रियता से इंन्दिरा गांधी घबरा गयीं। 
इंन्दिरा को लगा कि अभी-अभी *जेपी के जिन्न*से पीछा छूटा  कि *अब ये कांशीराम तैयार हो गये।* इंन्दिरा जानती थी कांशीराम जी का उभार जेपी से कहीँ ज्यादा बङा खतरा ब्राह्मणोँ के लिये था। उसने संघ के साथ मिलने की योजना बनाई। 
अशोक सिंघल की एकता यात्रा जब दिल्ली के सीमा पर पहुँची, तब इंन्दिरा गांधी स्वयं माला लेकर उनका स्वागत करने पहुंची।

*इस दौरान भारत में एक और बङी घटना घटी।*
भिंडरावाला जो खालिस्तान आंदोलन का नेता था, जिसको कांग्रेस ने अकाल तख्त का विरोध करने के लिए खङा किया था, उसने स्वर्णमंदिर पर कब्जा कर लिया।
RSS और कांग्रेस ने योजना बनाई अब मण्डल कमीशन आन्दोलन को भटकाने के लिऐ *हिन्दुस्थान vs खालिस्थान* का मामला खङा किया जाय।  *इंन्दिरा गांधी आर्मी प्रमुख जनरल सिन्हा को हटा दिया और एक साऊथ के ब्राह्मण को आर्मी प्रमुख बनाया।* जनरल सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया। 
आर्मी में भूचाल आ गया। नये आर्मी प्रमुख इंन्दिरा गांधी के कहने पर OPERATION BLUE STAR
की योजना बनाई और स्वर्ण मंदिर के अन्दर टैँक घुसा दिया। 
पूरी आर्मी हिल गयी। पूरे सिक्ख समुदाय ने इसे अपना अपमान समझा और 31 Oct. 1984 को इंन्दिरा गांधी को उनके दो Personal guards बेअन्तसिह और सतवन्त सिँह, जो दोनो *अनुसुचित जाति* के थे, ने इंन्दिरा गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया।
*_माओ_ अपनी किताब _'ON CONTRADICTION'_ में लिखते हैं कि शासक वर्ग किसी एक षडयंत्र को छुपाने के लिऐ दुसरा षडयंत्र करता है,  पर वह नहीँ जानता कि इससे वह अपने स्वयँ के लिए कोई और संकट खङा कर देता है।'* _माओ_की यह बात भारतीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य मेँ सटीक साबित होती है। 
*मंडल कमीशन को दबाने वाले षडयंत्र का बदला शासक वर्ग ने 'इंन्दिरा गांधी' की जान देकर चुकाया।*
इंन्दिरा गांधी की हत्या के तुरन्त बाद राजीव गांधी को नया प्रधानमंत्री मनोनीत कर दिया गया। जो आदमी 3 साल पहले पायलटी छोङकर आया था, वो देश का *'मुगले आजम'* बन गया। *इंन्दिरा गांधी की अचानक हत्या से सारे देश मेँ सिक्खोँ के विरूद्ध माहौल तैयार किया गया। दंगे हुऐ। अकेले दिल्ली में 3000 सिक्खो का कत्लेआम हुआ जिसमें तत्कालीन मंत्री भी थे।* उस दौरान *राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिँह* का फोन तक *प्रधनमंत्री राजीव गांधी*ने रिसीव नहीँ किये। उधर कांशीराम जी अपना अभियान
जारी रखे हुऐ थे। *उन्होनेँ अपनी राजनीतिक पार्टी BSP की स्थापना की* और सारे देश में साईकिल यात्रा निकाली। *कांशीराम जी ने एक नया नारा दिया _"जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी ऊतनी हिस्सेदारी।"_*

*कांशीराम जी मंडल कमीशन का मुद्दा बङी जोर शोर से प्रचारित किया, जिससे उत्तर भारत के पिछङे वर्ग मेँ एक नयी तरह की सामाजिक, राजनीतिक चेतना जागृत हुई।*
*_इसी जागृति का परिणाम था कि पिछङे वर्ग नया नेतृत्व जैसे कर्पुरी ठाकुर, लालु, मुलायम का उभार हुआ।_* 
अब कांशीराम शोषित वंचित समाज के सबसे बङे नेता बनकर उभरे। वही 1984 का चुनाव हुआ पर इस चुनाव कांशीराम ने सक्रियता नहीँ दिखाई ।पर राजीव गांधी को सहानुभुति लहर का इतना फायदा हुआ कि राजीव गांधी 413 MPs चुनवा कर लाये। जो राजीव जी के नाना ना कर सके वह उन्होने कर दिखाया। 
*सरकार बनने के बाद फिर मण्डल का जिन्न जाग गया।* OBC के MPs संसद मेँ हंगामे शुरू कर दिये । शासक वर्ग फिर नयी व्युह रचना बनाने की सोची। 

*अब कांशीराम जी के अभियानो के कारण OBC जागृत हो चुका था।* अब शासक वर्ग के लिऐ मंडल कमीशन का विरोध करना संभव नहीँ था। 
*2000 साल के इतिहास मेँ शायद ब्राह्मणोँ ने पहली बार कांशीराम जी के सामने असहाय महसूस किया।*
कोई भी राजनीतिक उदेश्य इन तीन साधनोँ से प्राप्त किया जा सकता है वह है-
*1) शक्ति संगठन की,*
*2) समर्थन जनता का* और 
*3) दांवपेच नेता का।*

कांशीराम जी के पास तीनो कौशल थे और दांवपेच के मामले मेँ वे ब्राह्मणोँ से 21 थे। अब यह समय था जब कांग्रेस और संघ की सम्पूर्ण राजनीतिक केवल कांशीराम जी पर ही केन्द्रित हो गया। 
1984 के चुनावोँ में बनवारी लाल पुरोहित ने मध्यस्थता कर राजीव गांधी और संघ का समझौता करवाया एवं इस चुनाव मेँ संघ ने राजीव गांधी का समर्थन किया। *गुप्त समझौता यह था कि राजीव गांधी राम मंदिर आन्दोलन का समर्थन करेगेँ और हम मिलकर रामभक्त OBC को मुर्ख बनाते है।* 
राजीव गांधी ने ही बाबरी मस्जिद के ताले खुलवाये, उसके अन्दर राम के बाल्यकाल की मूर्ति भी रखवाईं । 

*अब ब्राह्मण जानते थे अगर मण्डल कमीशन का* विरोध *करते है तो "राजनीतिक शक्ति" जायेगी, क्योकि 52% OBC के बल पर ही तो वे बार बार _देश के राजा_ बन जाते थे, और* समर्थन *करते हैं तो कार्यपालिका में जो उन्होने _स्थायी सरकार_ बना रखी थी वो छिन जाने खा खतरा था।* 
विरोध करें तो खतरा, समर्थन करें तो खतरा। करें तो क्या करें? 

तब कांग्रेस और संघ मिलकर OBC पर विहंगम दृष्टि डाली तो *उनको पता चला कि पूरा OBC रामभक्त है।* 
उन्होँने *मंडल के आन्दोलन* को *कमंडल* की तरफ मोङने का फैसला किया। *सारे देश में राम मंदिर अभियान छेङ दिया।* बजरंग दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया जो पिछङा था।
कल्याण सिंह, रितंभरा, ऊमा भारती, गोविन्दाचार्य आदि वो मुर्ख OBC थे जिनको संघ ने सेनापति बनाया। 
जिस प्रकार ये लोग हजारोँ सालो से ये पिछङो में विभीषण पैदा करते रहे इस बार भी इन्होंने ऐसा ही किया। 

वहीँ दूसरी तरफ *अनियंत्रित राजीव गांधी ने खुद को अन्तर्राष्ट्रीय नेता बनाने एवं मंडल कमीशन का मुद्दा दबाने के लिऐ प्रभाकरण से समझौता किया* तथा प्रभाकरण को वादा किया कि जिस प्रकार उसकी माँ (इंदिरागांधी) ने पाकिस्तान का विभाजन कर देश-दुनिया की राजनीति में अपनी धाक पैदा की वैसे वह भी श्रीलंका का विभाजन करवाकर प्रभाकरण को तमिल राष्ट्र बनवाकर देगा। 
वहीं राजीव गांधी की सरकार में वी.पी. सिंह रक्षा मंत्री थे।
*बोफोर्स रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार राजीव गांधी की सहायता से किया गया* जिसको उजागर किया गया। _यह राजीव गांधी की साख पर बट्टा था।_
वीपी सिंह इसको मुद्दा बनाकर अलग *जन मोर्चा* बनाया। अब असली घमासान था। 1989 के चुनाव की लङाई दिलकश हो चली थी। *पूरे उत्तर भारत में कांशीराम जी बहुजन समाज के नायक बनकर उभरे। उन्होने 13 जगहो पर चुनाव जीता जबकि 176 जगहोँ पर वे कांग्रेस का पत्ता साफ करने में  सफल हो गये।* 
राजीव गांधी जो कल तक दिल्ली का मुगल था कांशीराम जी के कारण वह रोड मास्टर बन गया। कांग्रेस 413 से धङाम 196 पर आ गयी। वी पी सिंह के गठबनधन 144 सीटें मिली, जिसके कारण वी पी सिंह ने चुनाव में जाने की घोषणा की और कहा कि यदि उनकी सरकार बनी तो मंडल कमीशन लागू करेंगे। 
चन्द्रशेखर व चौधरी देवीलाल के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना वी पी सिंह द्वारा बनायी गयी। चौधरी देवीलाल प्रधानमंत्री पद के सबसे बङे दावेदार थे पर योजना इस प्रकार से बनायी गयी थी कि संसदीय दल की बैठक में दल का नेता (प्रधानमंत्री) चुनने की माला चौ. देवीलाल के हाथ में दे दी जाए । चौ. देवीलाल (इस झूठे सम्मान से कि नेता चुनने का हक़ उनको दिया गया) माला वी पी के गले में डाल दिया। *इस प्रकार वी पी सिंह नये प्रधानमंत्री बने।* 
प्रधानमंत्री बनते ही OBC नेताओं ने मंडल कमीशन लागू करवाने का दबाव डाला। वी पी सिँह ने बहानेबाजी की पर अन्त में निर्णय करने के लिए चौ. देवीलाल की अध्यक्षता मेँ एक कमेटी बनायी। 
याद रहे कि मंडल कमीशन के चैयरमैन बी. पी. मंडल यादव थे, शायद इसीलिए मंडल कमीशन की लिस्ट में उन्होने यादवों को तो शामिल कर लिया मगर जाटों को शामिल नही किया।
चौधरी देवीलाल ने कहा कि इसमे जाटों को शामिल करो फिर लागू करो मगर ठाकुर वी पी सिँह इनकार कर दिया।

चौधरी देवीलाल नाराज होकर कांशीराम जी के पास गये और पूरी कहानी सुनाकर बोले मुझे आपका साथ चाहिये। *कांशीराम जी बोले कि 'ताऊ तुझे जनता ने "Leader" बनाया मगर ठाकुर ने  "Ladder" (सीढी) बनाया।* 
तेरे साथ अत्याचार हुआ और दुनिया में जिसके साथ अत्याचार होता है कांशीराम उसका साथ देता है।' कांशीराम जी और देवीलाल ने वी पी सिंह के विरोध में एक विशाल रैली करने वाले थे। उसी दौरान शरद यादव और रामविलास पासवान ने वी पी सिंह से मुलाकात की। उन्होँने वी पी से कहा कि हमारे नेता आप नही बल्कि चौधरी देवीलाल है। अगर आप मंडल लागू कर दे तो हम आपके साथ रहेंगे अन्यथा हम भी देवीलाल और कांशीराम का साथ देंगे। 
ठाकुर वी पी सिँह की कुर्सी संकट से घिर गयी। कुर्सी बचाने के डर से वी पी सिंह ने मंडल कमीशन लागू करने की घोषणा कर दी। 
सारे देश मेँ बवाल खङा हो गया। *Mr. Clean से Mr. Corrupt बन चुके राजीव गांधी ने बिना पानी पिये संसद में 4 घंटे तक मंडल के विरोध में भाषण दिया।* 
जो व्यक्ति 10 मिनिट तक संसद में ठीक से बोल नहीं सकता था, उसने OBC का विरोध अपनी पूरी ऊर्जा से पानी पी-पी कर किया और 4 घंटे तक बोला। 
वी पी सिंह सरकार गिरा दी गयी। चुनाव घोषणा की हुयी और एम नागराज नाम के  ब्राह्मण ने उच्चतम न्यायालय में आरक्षण के विरोध में मुकदमा (केश) कर दिया । 
इधर राजीव गांधी ने जो प्रभाकरण से वादा किया था वो पूरा नही कर सके थे बल्कि UNO के दबाव मे ऊन्होँने शांति सेना श्रीलंका भेज दी थी। राजीव गांधी के कहने पर प्रभाकरण के साथी कानाशिवरामन को BOMB बनाने की ट्रेनिँग दी गयी थी। जब प्रभाकरण को लगा कि राजीव गाँधी ने धोखा किया। उसने काना शिवरामन को राजीव गांधी की हत्या कर देने का आदेश दिया और मई 1991 मे राजीव गांधी को मानव बम द्वारा ऊङा दिया गया। *एक बार फिर माओ का कथन सत्य सिद्ध हुआ।*और मंडल के भूत ने राजीव गांधी की जान ले ली।

राजीव गांधी हत्या का फायदा कांग्रेस को हुआ। कांग्रेस के 271 सांसद चुनकर आये। शिबु सोरेन व एक अन्य को खरीदकर कांग्रेस ने सरकार बनायी।  वी पी नरसिंम्हराव दक्षिण के ब्राह्मण प्रधानमंत्री बने।

दूसरी तरफ मंडल कमीशन के विरोध मे Supreme court के 31 आला ब्राह्मण वकील सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये।
लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, पटना से दिल्ली आये। सारे ब्राह्मण-बनिया वकीलों से मिले। कोई भी वकील पैसा लेकर भी मंडल के समर्थन में लङने के लिऐ तैयार नही था। 
लालू यादव ने रामजेठमलानी से निवेदन किया मगर जेठमलानी Criminal Lawyer थे जबकि यह संविधान का मामला था, फिर भी रामजेठमलानी ने यह केस लङा। *मगर SUPREME COURT ने 4 बङे फैसले OBC के खिलाफ दिये।*
1. केवल 1800 जातियों को OBC माना।

2. 52% OBC को 52% देने की बजाय संविधान के विरोध में जाकर 27% ही आरक्षण होगा।

3. OBC को आरक्षण होगा पर प्रमोशन मेँ आरक्षण नहीँ होगा।

4. क्रीमीलेयर होगा अर्थात् *जिस OBC का INCOME 1 लाख होगा उसे आरक्षण नहीँ मिलेगा।*

इसका एक आशय यह था कि जिस OBC का लङका महाविद्यालय मेँ पढ रहा है उसे आरक्षण नहीँ मिलेगा बल्कि जो OBC गांव मेँ ढोर ढाँगर
चरा रहा है उसे आरक्षण मिलेगा। 
*यह तो वही बात हो गई कि दांत वाले से चना छीन लिया और बिना दांत वाले को चना देने कि बात करता है ताकि किसी को आरक्षण का लाभ न मिले।*
ये चार बङे फैसले सुप्रीम कोर्ट के सेठ जी ऍव भट्टजी ने OBC के विरोध मेँ दिये। दुनिया की हर COURT में न्याय मिलता है जबकि भारत की SUPREME COURT ने 52% OBC के हक और अधिकारों के विरोध का फैसला दिया। 
भारत के शासक वर्ग अपने हित के लिऐ सुप्रीम कोर्ट जैसी महान् न्यायिक संस्था का दुरूपयोग किया। 
मंडल को रोकने के लिऐ कई हथकंडे अपनाऐ हुऐ थे जिसमें राम मंदिर आन्दोलन बहुत बङा हथकंडा था। उत्तर प्रदेश मेँ बीजेपी ने मजबूरी मेँ कल्याण सिंह जो कुर्मी थे उनको मुख्यमंत्री बनाया। 
आपको बताता चलूं की कांशीराम जी के उदय के पश्चात् ब्राह्मणोँ ने लगभग हर राज्य में OBC मुख्यमंत्री बनाना शुरू किये ताकि OBC का जुङाव कांशीराम जी के साथ न हो। इसी वजह से एक कुर्मी को मुख्यमंत्री बनाया गया।

आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली। नरेन्द्र मोदी आडवाणी के हनुमान बने। *याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मंडल विरोधी निर्णय 16 नवम्बर 1992 को दिया और शासक वर्ग ने 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गयी।* बाबरी मस्जिद गिराने मे कांग्रेस ने बीजेपी का पूरा साथ दिया। इस प्रकार सुप्रिम कोर्ट के निर्णय के बारे में OBC जागृत न हो सके, इसीलिए बाबरी मस्जिद गिराई गयी।
शासक वर्ग ने तीर मुसलमानों पर चलाया पर निशाना OBC थे। जब भी उन पर संकट आता है वे हिन्दु और मुसलमान का मामला खङा करते हैं। बाबरी मस्जीद गिराने के बाद कल्याणसिंह सरकार बर्खास्त कर दी गयी। 
दूसरी तरफ कांशीराम जी UP के गांव गांव जाकर षडयंत्र का पर्दाफाश कर रहे थे। उनका मुलायम सिंह से समझौता हुआ। विधानसभा चुनाव हुए कांशीराम जी की 67 सीट एवं मुलायम सिँह को 120 सीटें मिली। बसपा के सहयोग से मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने। 
*UP के OBC और SC के लोगों ने मिलकर नारा लगाया _"मिले मुलायम कांशीराम हवा मेँ ऊङ गये जय श्री राम।"_* 

शासक जाति को खासकर ब्राह्मणवादी सत्ता को इस गठबन्धन से और ज्यादा डर लगने लगा।
 इंडिया टुडे ने कांशीराम भारत के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं ऐसा ब्राह्मणोँ को सतर्क करने वाला लेख लिखा। *इसके बाद शासक वर्ग अपनी राजनीतिक रणनीति में बदलाव किया। लगभग हर राज्य का मुख्यमंत्री ऊन्होनेँ शूद्र(OBC) बनाना शुरू कर दिये। साथ ही उन्होने दलीय अनुशासन को कठोरता से लागू किया ताकि निर्णय करते वक्त वे स्वतंत्र रहें।*

*1996 के चुनावों में  कांग्रेस फिर हार गयी और दो तीन अल्पमत वाली सरकारें बनी। यह गठबन्धन की सरकारें थी। इन सरकारों में सबसे महत्वपुर्ण सरकार H.D. देवेगौङा (OBC) की सरकार थी जिनके कैबिनेट में एक भी ब्राह्मण मंत्री नही था। आजाद भारत के इतिहास मे पहली बार ऐसा हुआ जब किसी प्रधानमंत्री के केबिनेट मे एक भी ब्राह्मण मंत्री नही था।* इस सरकार ने बहुत ही क्रांतिकारी फैसला लिया। वह फैसला था OBC की गिनती करने का फैसला जो मंडल का दूसरी योजना थी, क्योँकि 1931 के आंकङे बहुत पुराने हो चुके थे। OBC की गिनकी अगर होती तो देश मे OBC की सामाजिक, आर्थिक स्थिति क्या है और उसके सारे आंकङे पता चल जाते। इतना ही नही 52% OBC अपनी संख्या का उपयोग राजनीतिक ऊद्देश्य के लिऐ करता तो आने वाली सारी सरकारेँ OBC की ही बनती। शासक वर्ग के समर्थन से बनी देवेगोङा की सरकार फिर गिरा दी गयी।
शासक वर्ग जानता है कि जब तक OBC धार्मिक रूप से जागृत रहेगा तब तक हमारे जाल मेँ फँसता रहेगा जैसे 2014 मेँ फंसा। शायद जाति अधारित गिनती ओबीसी की करने का निर्णय देवेगौङा सरकार ने नहीं किया होता तो शायद उनकी सरकार नही गिरायी जाती। 
ब्राह्मण अपनी सत्ता बचाने के लिये हरसंभव प्रयत्न में लगे रहे। वे जानते थे कि अगर यही हालात बने रहे थे तो ब्राह्मणों की राजनीतिक सत्ता छीन ली जायेगी।
जो लोग सोनिया को कांग्रेस का नेता नहीँ बनाना चाहते थे वे भी अब सोनिया को स्वीकार करने लगे।
कांग्रेस वर्किग कमेटी मे जब शरद पवार ने सोनिया के विदेशी होने का मुद्दा उठाया तो आर.के. धवन नामक ब्राह्मण ने थप्पङ मारा। पी ऐ संगमा, शरद पवार, राजेश पायलट, शरद पवार, सीताराम केसरी, सबको ठिकाने लगा दिया। शासक वर्ग ने गठबन्धन की राजनीति स्वीकार ली। 
उधर अटल बिहारी कश्मीर पर गीत गाते गाते 1999 मे फिर प्रधानमंत्री हुऐ। अगर कारगिल नही हुआ होता तो अटल फिर शायद चुनकर आते। सरकार बनाते ही अटल बिहारी ने संविधान समीक्षा आयोग बनाने का निर्णय लिया।
*अरूण शौरी ने बाबासाहब अम्बेडकर को अपमानित करने वाली किताब 'Worship of false gods' लिखी।* इसके विरोध मेँ सभी संगठनो ने विरोध किया। विशेषकर बामसेफ के नेतृत्व मेँ 1000 कार्यक्रम सारे देश में आयोजित किये गये। अटल सरकार ने अपना फैसला वापस (पीछे) ले लिया।
 ये भी नया हथकंडा था वास्तविक मुद्दो को दबाने का। फिर 2011 में जनगणना होनी थी। मगर OBC की जनगणना नहीँ करने का फैसला किया गया। *इसलिए भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में संख्याबल के हिसाब से शासक बनने वाला ओबीसी वर्ग सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणवादी/मनुवादी शासकों का पिछलग्गू बन कर रह गया है। वो अपना नुकसान तो कर ही रहा है, साथ में अपने दलित भाई बंधुओं का भी नुकसान कर रहा है,
 जो ब्राह्मणवादी सत्ता को समाप्त करने का निरंतर प्र
यत्नशील है

मोदी का अंबानी सफ़रनामा*-

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*बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर आपका ध्यान खींच रहा हूँ । 02 मिनट से अधिक का समय नही लगेगा, पढ़ जरूर लीजिएगा*
*क्योकि बात वोट की नही देशहित से जुड़ी है।*
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      *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिलायंस "JIO "  के विज्ञापन में दिखने के क्या मायने है ..देश का जनमानस यह धीरे-धीरे समझने लगा है । इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मीडिया के बनाए तिलिस्म के भरोसे नरेंद्र मोदी और भाजपा की यह एक सोची-समझी रणनीति थी कि इस देश की जनता को जब चाहे मूर्ख बनाया जा सकता है और इसी अतिआत्मविश्वास  (over confidence) में नरेंद्र मोदी भारी गलती कर गए और अपने महिमामंडन के नशे में ये यह तक भूल गए कि उनकी प्राथमिकता लगातार घाटे में जा रहे BSNL को संभालना है ...न कि रिलायंस की 4G सिम बेचना ।*

*अंबानी और अडानी जैसे फिरकापरस्त उद्योगपतियों के पैसे पर अपनी राजनीति चमका कर खुद को भारत माँ का लाल बताने वाले देश के धुरंधर प्रधानमंत्री एक के बाद एक हर क्षेत्र, हर दिशा में वर्षों से कार्यरत सरकारी ढांचों और उपक्रमों को ध्वस्त कर अपनी भारत माँ को चंद उद्योगपतियों के हाथों बेचने पर आमादा है ।*

*टेलीकॉम सेक्टर के जानकार ये भी संभावना जताते हैं कि जल्द ही BSNL स्वयं के लिए स्पेक्ट्रम लेने की बजाय इसी रिलायंस के स्पेक्ट्रम से शेयरिंग प्राप्त करेगा । यानि कि अब BSNL का ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं रिलायंस से उधार लेकर चलेगीं ।*

*लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते है कि टेलीकॉम सेक्टर पहला ऐसा सेक्टर नहीं है जिसमें मोदी सरकार ने रिलायंस के प्रति अपनी गहरी स्वामिभक्ति का परिचय दिया हो । आपको बताती चलूं कि ऐसी कई करतूतें मोदी सरकार पिछले दो साल में एक बार नहीं कई बार कर चुकी है चाहे वो डिफेन्स में FDI लागू होने पर सरकार की तरफ से लाइज़निंग करने के लिए रिलायंस को नियुक्त करना हो या फिर मोदी के PM बनने के 4 महीने के भीतर ही रिलायंस के देश भर में बंद पड़े 19 हज़ार से ज़्यादा पेट्रोल पम्प्स का खुल जाना हो ।*

*ऐसा ही एक जिन्दा उदाहरण आपको मिलेगा ONGC के मामले में ।*

*पिछले वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत सरकार के एक अति  महत्वपूर्ण उपक्रम तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC) को दो बड़े झटके देते हुए उसे इस दयनीय हाल में ला दिया है जहाँ से शायद आने वाले दस सालों के अंदर ONGC का नामोनिशान ही मिट जाएगा ।*

 *पहले झटके के तौर पर PM मोदी ने ONGC में निजी निवेश को मंज़ूरी दे दी और इसमें निवेश किया उनके आका मुकेश अंबानी ने ।*

*इसमें गौर करने वाली बात यह है कि ONGC भारत सरकार के लिए एक constant profit making body था, यानि उसकी वित्तीय स्थिति में ऐसी कहीं भी कोई समस्या नहीं जिसके चलते निजी निवेश से धन जुटाने की ज़रूरत पड़े । देखते ही देखते एक पुराने और लगातार लाभ देने वाले सरकार के इस उपक्रम से बिना कुछ किए कराए भारी मुनाफा कमाने लगी रिलायंस ! और बहाना ये बनाया गया कि इससे सरकारी खजाने को एकमुश्त 1600 करोड़ रूपए मिले ।*

*मित्रो यह 1600 करोड़ वो रकम है जिसका एक चौथाई यानि 400 करोड़ तो PM मोदी की एक साल की सुरक्षा में खर्च हो जाता है यानि सरकार का खजाना अचानक से कुबेर का खजाना हो गया हो ऐसी भी कोई बात नहीं थी ।*

*PM मोदी यहीं नहीं रुके, इस मंज़ूरी के बाद उन्होंने ONGC को और बड़ा तगड़ा झटका दिया और ONGC के सबसे बड़े सप्लाई हेड्स या फिर साधारण भाषा में यूं कहे कि सबसे बड़े ग्राहक में से एक भारतीय रेलवे को डीज़ल सप्लाई करने का काम ONGC से छीनकर मोदी ने अपने आका मुकेश अम्बानी की कंपनी "रिलायंस पेट्रोलियम " को दे दिया । अब ONGC दो तरह से पीटा जा रहा है, पहला जो काम उसके पास है उसमें से कमाए हुए पैसे में भी मुकेश अंबानी का हिस्सा दे और पुराने ग्राहकों को भी एक-एक करके रिलायन्स को सौंपा जा रहा है और ज़ाहिर है इसमें ONGC को तो कोई हिस्सा मिलना नहीं है ।*

*अब रही बात कि ये सारी जानकरियाँ सार्वजानिक क्यों नहीं होती ।*

*इस समय देश में हिंदी और गैरहिन्दी भाषी लगभग 90 से ज़्यादा चैनल्स है जिन्हें 24 hour broadcast की अनुमति प्राप्त है । ये 90 से ज़्यादा चैनल्स आज से तीन साल पहले तक  39 अलग-अलग मीडिया ग्रुप्स द्वारा संचालित किए जाते थे । आपको ये जानकर यह आश्चर्य होगा कि चैनल्स की संख्या वही है लेकिन संचालन करने वाले ग्रुप्स 39 से सिर्फ 21 रह गए है ।*

*ऐसा इसलिए क्योंकि इन तीन सालों में network18 नामक एक मीडिया ग्रुप ने 18 ग्रुप्स को खरीद कर अधिगृहित कर लिया । और इस network18 ग्रुप के मालिक का नाम है " मुकेश अंबानी"*

*यानि जो न्यूज़ चैनल्स पर हर शाम आपको गाय, गोबर, गौमूत्र, लवजिहाद, ISIS, पाकिस्तान, चीन और मंदिर मस्जिद दिखाया जाता है जिसे देखकर आपका खून खौल उठता है वो कोई जोश नहीं बल्कि एक तरह का ड्रग्स है जो आपकी भावनात्मक नसों में घोला जा रहा है ताकि आप के अन्दर  अपने ही देश को लूटने वाले चंद गद्दार तथाकथित राष्ट्रवादियों और उद्योगपतियों  को देखने और देखकर प्रतिकार करने की क्षमता देश के लोगों में न रह पाए ।*

*यूँ समझ लीजिए ईस्ट इंडिया कंपनी-II का जन्म इस बार भारत के अंदर ही हुआ है और इसे सुरक्षा देने वाली "खाकी चड्डी" पहनी पुलिस तो है ही ।*

*नोट : अगर मेरी बात पर विश्वास नही हो रहा है, तो किसी ONGC और रेलवे में ऊंचे पद पर जाब करने वाले से पूंछ लीजिएगा,यकीन हो जाएगा।*

*देशहित में इस विषय को अधिक से अधिक अपने साथियों तक पहुचाएं*
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मूलनिवासी इतिहास

sir Manohar barkade ji ki wall se मूलनिवासी इतिहास *ये है भारत का असली इतिहासl बाकि सब झूठ हैl* इस पोस्ट के अन्दर दबे हुए इतिहास के प...