Thursday 6 July 2017

मूलनिवासी बहुजन समाज के एक साथी को मेरा जवाब

उदय एक भारतीय
मूलनिवासी बहुजन समाज के  एक साथी को  मेरा जवाब ,
जो चर्चित ब्राह्मणवादी  लोगों के साथ  फोटो खिंचवाकर  समाज के बीच में शेयर करता है ।

साथियो मै जैसा भी हूँ ,लेकिन बामसेफ संगठन का एक ईमानदार कार्यकर्ता हूँ। बामसेफ संगठन मे एक कार्यकर्ता के रूप मे मैंने यही सीखा है कि “हमारी सभी समस्याओं का मूल कारण हमारी अज्ञानता है (Ignorance is root cause of suffering)। ऐसा तथागत बुद्ध का मानना था। ऐसा ही मत राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले का भी था। उन्होने कहा है कि

“विद्या बिन मति गई,
मति बिन नीति गई,
नीति बिन गति गई,
गति बिन वित्त गया,
वित्त बिन शुद्र पतित हुए,
इतना घोर अनर्थ मात्र एक अविद्या के कारण हुआ "

इसलिए बाबा साहेब ने भी अपने आदेश मे मूलनिवासी बहुजन समाज को एजुकेट/ शिक्षित करने का सन्देश दिया. (These are final words of advice to you, Educate, Agitate, Organise and faith in yourself and never loose your hope )। शिक्षित करने से मतलब सामाजिक शिक्षा से है। बाबा साहेब ने कहा था ,कि गुलामों को गुलामी का एहसास करा दो वह अपनी गुलामी कि जंजीरे स्वयं तोड़ देगा (Tell the slaves that he is slaves and he will revolt against slavery)”।

इसलिए मेरे पास जो भी बुद्धि, हुनर, कीमती समय और थोड़ा-बहुत पैसा है ,वह समय और वह हुनर और संसाधन मै अपने मूलनिवासी बहुजन समाज मे फुले-अंबेडकर की विचारधारा के प्रचार – प्रसार के लिए लगाता हूँ।

 मै अपना प्रचार नहीं करना चाहता हूँ बल्कि मै अपने मूलनिवासी बहुजन समाज के महापुरुषों की विचारधारा का और वह भी केवल मूलनिवासी बहुजन समाज मे प्रचार करता चाहता हूँ।

 मैंने देखा है ,कि मूलनिवासी बहुजन समाज के जो लोग अपना प्रचार –प्रसार पर ध्यान केन्द्रित किए  रहते है ,वे लोग प्रचारित होने के बाद उचित दाम मे दुश्मनों के यहा बिक गये है या बिक जाते है।

मैं यह जानता हूँ कि जो भी लोग महापुरुषों की विचारधारा का और वह भी केवल मूलनिवासी बहुजन समाज मे प्रचार करने के बजाय अपने प्रचार के लिए येन,केन प्रकारेंन लालायित रहते है ,वही लोग संगठन के लिए खतरनाक होते है। उदितराज से लेकर पुनिया तक का उदाहरण सामने है।

कोई भी व्यक्ति कोई फोटो क्यों शेअर करता है।

सकारात्मक उद्देश्य से कि देखो तो मै आज अपने मूलनिवासी बहुजन समाज के कार्यक्रम मे गया था और मैंने अपने समाज को जागरूक किया। इससे समाज मे कार्य करने वाले अन्य लोगो को भी प्रेरणा मिलती है और वह भी अपने मूलनिवासी बहुजन समाज के कार्यक्रम मे जाने के लिए प्रेरित होते है  और वहाँ जाकर अपने समाज को जागरूक करते है।

नकारात्मक उद्देश्य से लोग तथाकथित ऊंची जातियो के नेताओ के साथ या फिर फुले-अंबेडकर विरोधी विचारधारा के आइकोन के साथ जाते है और उनके साथ फोटो खिचवाते है और समाज मे  उस फोटो  को शेअर करते है ,कि मै बहुत पोपुलर हूँ और इतना कि मै आप लोग तो बहुत सामान्य लोग हो ,मेरी पहुँच तो वहाँ तक है। इसलिए तुम भी ,मेरा मान सम्मान करो। इससे नए लोगो मे न केवल नेगेटिव संदेश जाता है, बल्कि हमारे विरोधियों का भी समाज मे प्रचार होता है। हा अगर वहाँ जाकर समाज हित मे
कोई सार्वजनिक निर्णय करा देते है ,तो बड़ी खुशी होती , नहीं तो भोजपुरी मे कहावत है कि,”सटला त गइला”।  इसलिए मान्यवर कांशी ने कहा था कि शेर बकरी के पास जाये या बकरी शेर के पास शिकार हमेशा बकरी का होता है। एक और बात  समाज को शेर बनाने की जरूरत है ,न कि केवल व्यक्तिविशेष को। क्योकि अगर समाज शेर नहीं बन सका तो ,कोई व्यक्तिगत कितना भी ताकतवर बन जाय, लेकिन उसकी ताकत अंत मे समाज के ताकत से ही नापी जाएगी। है। ultimately social structure is power structure hence make society strong instead of individuals
जय भीम जय मूलनिवासी

हरिजन' शब्द की उत्पति

उदय एक भारतीय
*हरिजन' शब्द की उत्पति*
पहले की बात है, मंदिर में पंडित पदारी हुआ करते थे । उस समय अनुसूचित जाति की पहली संन्तान यदि बेटी होती थी तो उसे पंडित 10-12 साल मे ले जाते थे ।और उसे दान की कन्या समझ कर घर के लोग दान कर देते थे
जब की घर के लोग सब जानते थे कि उसके साथ बहुत गलत होगा । मगर अन्ध विश्वास में बंधे हुये थे। घर के लोग समझ रहे थे कि भगवान को उसकी बेटी की जरूरत है इस कारण भगवान उसे पहले बेटी बना कर भेजा है ।
मंदिर मे जाकर उस अनुसूचित जाति मासूम की हालत क्या हो जाती है।
देखो उस अनुसूचित जाति बेटी को मंदिर मे रखी पत्थर की मूरत से शादी करवाई जाती थी। फिर मंन्दिर के सभी पंडितो के वे लड़की पैर दबाती थी ।और रात मे उन पंडितो के बिस्तर की सेज बनती थी ।
12 साल की बच्ची के साथ बड़े बूढ़े पंडित अपनी  हवस को पूरी करते थे
जब वह लड़की मना करने की हिम्मत करती तो उससे कहा जाता की भगवान ने इसी काम के लिये उसे भेजा है । और वह बेचारी पंडितो को नहलाती उनके साथ सेक्स करती न चाहते हुये भी और उसी दलित लड़की का नाम देवदासी दिया ताकि उससे जो भी सन्तान हो उस पर पंडित का नाम न जुड़े और उस सन्तान को भगवान की सन्तान का नाम दिया ताकि कोई उगली न उठा सके उस असहाय बेचारी अनुसूचित जाति बेटी से जो महान्तो की अवैध सन्तान उत्पन होती थी । उसका नाम *''हरिजन''* पड़ा

मै ऐसे भगवान पर थूकता हू जो अपना  नाम देकर उस मासूम के साथ इतना बड़ा अत्याचार करवाता रहा दोस्तो जरा सोच कर दोखो क्या उस भगवान को इतने बड़े अत्याचार को रोकना नही चाहिये था।
आज का एक आम आदमी भी इस नियम का विरोध करता इसका मतलब क्या भगवान ही सबसे बड़ा अत्याचारी था ।
इसका मतलब भगवान कही भी नही था । भगवान के नाम पर पंडित लोग अपने फायदे के लिये दलितों को हमेशा सताया है।
यदि भगवान कही था तो उस भगवान से बड़ा कमीना लुच्चा घटिया कोई नही था ।
दोस्तो मुझे तो आज भी उन अनुसूचित जातियो के ऊपर शर्म आती है ।
जो घर मे लड़का हुआ तो उसका नाम रखवाने बिना पढ़े लिखे पंडित के पास जाते है और वह पंडित चैतू दुखिया नाम देता है ।अरे भाइओ जरा सोचो
 जीवन भर तुमको देख भाल करनी है
अपने हिसाब से अच्छा नाम रखो आओ सभी मिलकर ऐसे अन्धविश्वास
को दूर करे !और जीवन की नयी ज्योति जलाए।

दूसरे  ग्रुप मे भेजे!                              
Jai Bheem jai bharat jai mool nivasi

मूलनिवासी इतिहास

sir Manohar barkade ji ki wall se मूलनिवासी इतिहास *ये है भारत का असली इतिहासl बाकि सब झूठ हैl* इस पोस्ट के अन्दर दबे हुए इतिहास के प...