Thursday 25 October 2018

सुख कहाँ मिलता है?

✏ ऐ   "सुख"  तू  कहाँ   मिलता   है
क्या.  तेरा   कोई.  स्थायी.   पता.  है

✏क्यों   बन   बैठा   है.   अन्जाना
आखिर.  क्या   है   तेरा   ठिकाना।

✏कहाँ   कहाँ.    ढूंढा.  तुझको
पर.  तू  न.  कहीं  मिला  मुझको

✏ढूंढा.  ऊँचे   मकानों.  में
बड़ी  बड़ी   दुकानों.  में

स्वादिस्ट   पकवानों.  में
चोटी.  के.  धनवानों.  में

✏वो   भी   तुझको.    ढूंढ.  रहे   थे
बल्कि   मुझको.  ही   पूछ.  रहे.  थे

✏क्या   आपको   कुछ   पता    है
ये  सुख  आखिर  कहाँ  रहता   है?

✏मेरे.  पास.  तो.  "दुःख"  का   पता   था
जो   सुबह   शाम.  अक्सर.  मिलता  था

✏परेशान   होके   रपट    लिखवाई
पर   ये   कोशिश   भी   काम  न  आई

✏उम्र   अब   ढलान.   पे.   है
हौसले    थकान.   पे.    है

✏हाँ   उसकी.  तस्वीर   है   मेरे.  पास
अब.  भी.  बची   हुई.  है    आस

✏मैं.  भी.  हार    नही    मानूंगा
सुख.  के.  रहस्य   को.   जानूंगा

✏बचपन.   में    मिला    करता    था
मेरे    साथ   रहा    करता.   था

✏पर.  जबसे.   मैं    बड़ा   हो.   गया
मेरा.  सुख   मुझसे   जुदा.  हो  गया।

✏मैं   फिर   भी.  नही   हुआ    हताश
जारी   रखी    उसकी    तलाश

✏एक.  दिन.  जब   आवाज.  ये    आई
क्या.   मुझको.   ढूंढ.  रहा  है   भाई

✏मैं.  तेरे.  अन्दर   छुपा.   हुआ.    हूँ
तेरे.  ही.  घर.  में.  बसा.   हुआ.   हूँ

✏मेरा.  नही.  है   कुछ.   भी    "मोल"
सिक्कों.   में.  मुझको.   न.   तोल

✏मैं.  बच्चों.  की.   मुस्कानों.   में    हूँ
हारमोनियम   की.   तानों   में.   हूँ

✏पत्नी.  के.  साथ    चाय.   पीने.  में
"परिवार"    के.  संग.  जीने.   में

✏माँ.  बाप   के.  आशीर्वाद    में
रसोई   घर   के  पफवानो।  में

✏बच्चों।  की   सफलता।  में।   हूँ
माँ।   की।  निश्छल।  ममता  में  हूँ

✏हर।  पल।  तेरे।  संग    रहता।  हूँ
और   अक्सर।  तुझसे   कहता।  हूँ

✏मैं   तो   हूँ   बस।  एक    "अहसास"
बंद।  कर   दे   तु।  मेरी    तलाश

✏जो   मिला   उसी।  में।  कर   "संतोष"
आज  को।  जी।  ले।  कल  की न सोच

✏कल  के   लिए।  आज।  को  न   खोना

मेरे   लिए   कभी   दुखी।   न।  होना
मेरे।  लिए   कभी।  दुखी   न    होना

Monday 8 October 2018

करवाचौथ:मूलनिवासियो को गुलाम बनाये रखने की साजिश

करवाचौथ:मूलनिवासियो को गुलाम बनाये रखने की साजिश


आखिर उस मुक्तिदाता का अपमान क्यो?


जी हाँ मैं उसी महामानव की बात कर रहा हूँ जिसने तुम्हें और इस पूरी नारी जाति को उस ब्राम्हणवाद के चंगुल से मुक्त कराया। और तुम्हें उठने ,बैठने, बोलने का, भाषण करने का सिर्फ इतना ही नही जो तुम लोग आज पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हो ये सारे अधिकार बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी  ने दिलाये है। आज तुम उस महिला का अपमान कर रही हो? जिसने इस भारत मे सबसे पहले तुम्हारी आजादी का आंदोलन छेड़ दिया था। आज तो तुम्हें मालूम भी नही होगा वो महिला कौन थी? तो सुनो वो महिला भारत की प्रथम महिला अध्यपिका, भारत की प्रथम महिला नेता सावित्री बाई फुले है। और भी महापुरुष है जिनके बताये रास्ते को छोड़कर तुम गलत रास्ते पर जा रही हो अरे बाबा साहेब ने तो अपने चार चार बच्चों को बलिदान कर दिया तुम्हारी आजादी की खातिर अपनी पत्नी का बलिदान कर दिया। तुम्हें इस मनुवादी व्यवस्था से बाहर निकलने के लिए लेकिन आज तुम पढ़ लिख कर भी इस चंगुल से आजाद नही हो रही हो ये तुमारी गलती है ।और मैं ये कहना चाहता हूं कि इस मनुवादी व्यवस्था को त्याग कर बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलो। समता ,स्वतंत्रता, न्याय ,बंधुता के रास्ते चलकर अपना दीपक स्वयं बनो । बाबा साहेब ने हमे तीन मूलमंत्र दिए हैं शिछित हो ,संगठित हो ,और संघर्ष करो अपने महापुरुषो को पहचानो कौन है तुम्हारे भगवान जब तुमको सती प्रथा के नाम पर जिंदा जलाया जाता था तो कहा थी। तुम्हारी करवा माता कहा थी तुम्हारी दुर्गा और काली माता कहा थी?

जिस व्यक्ति की पत्नी मर जाए वह कितनी भी शादी कर ले लेकिन पति के मरने पर तुम नहीं कर सकती थी पत्नी की मृत्यु पर कोई पुरुष सिर मुंडवाकर सफेद वस्त्र नैतिकता का उसका अपना मापदंड है विधवा तड़पती रही है हजारों महिलाएं को चलती रही है किसी ने इस नर्क से छुटकारा भी पाना चाहा तो केवल एक ही मार्ग था स्वयं की हत्या का। आत्महत्या ही मुक्ति का इकलौता मार्ग था कहा गई थी।
 तुमारी माता दुर्गा ,काली, करवा, कहा मर गई थी??

इस व्रत की कहानी अंधविश्वासपूर्ण भय उत्पन्न करती है कि करवाचौथ का व्रत न रखने अथवा अज्ञानवश व्रत के खंडित होने से पति के प्राण खतरे में पड़ सकते हैं, यह महिलाओं को अंधविश्वास और आत्मपीड़न की बेड़ियों में जकड़ने को प्रेरित करता है। ऐसा क्यों है कि, सारे व्रत-उपवास पत्नी, बहन और माँ के लिए ही क्यों हैं? पति, भाई और पिता के लिए क्यों नहीं.?
मै ये कहना चाहता हूं कि ये कैसा ब्रत है जो महिलाओं को गुलामी का संकेत दे रहा है उनको एहसास दिला रहा है कि वो आधुनिक युग में भी गुलाम बनी हुई है ये कुछ पंक्तिया है

ये है कैसा करवाचौथ...???
ये है कैसा करवाचौथ...???

पति के हाथों पिटती जाए...
कोख़ में अजन्मी मारी जाए...
फिर भी बेकार की उम्मीदों में...
नारी तू क्यूँ है मदहोश...???

बेमतलब है ये करवाचौथ...
ये है कैसा करवाचौथ..????

नारी अब ना कर तू करवाचौथ...
ये है कैसा करवाचौथ...???

नारी तुझे अपनीं बातें कहना है...
अब ना यूँ चुप रहना है...
छोड़ ढोना कुरीति-पाखण्ड...
अब ना कर तू कोई संकोच...।।

छोड़ दे दोहरे मापदंड का करवाचौथ...
ये है कैसा करवाचौथ...???

पंचशील पथ का जीवनसाथी हो...
नारी हो साथी के माथे का तिलक...
जो पंचशील की राह नहीं...तो...
किस बात का करवाचौथ...???

बंद करो यह करवा चौथ....
बोलो  !  कैसा करवाचौथ...???
नहीं चाहिए खोखला करवाचौथ...।।

मेंहदी-चूड़ी-बिछुआ-कंगन के...
साज-श्रृंगार में...सजी हुई
ना गवां तू अपना जीवन...
साथी संग कर तू बुद्ध को नमन...।।

ऐसा सजीला हो करवाचौथ...
हाँ; ऐसा ही हो करवाचौथ...।।

माफ़ करना मेरे जीवनसाथी...
हैं हम-तुम दोनों "दीया-बाती".
पर न करना तुम मेरे लिये...
अब तो कोई व्रत-प्रदोष...।।

छोड़ दो अब करवाचौथ...
मत करना तुम  करवाचौथ...।।

अब समझो मेरे जीवनसाथी...
पथरीले रास्ते पर तेरे संग...
जीवन भर तेरे साथ चलूंगा..
धूप में ठंढी हवा बनूँगा  ...।।

पर;अब...मत करना...मत करना...
आडम्बरयुक्त ये करवाचौथ...।।

तेरे राहों के काँटों को...
अपनीं पलकों से चुन लूंगा...
पंचशील पथ पर तेरे संग चलूंगा...
मानवता की ख़ातिर मैं खुद को अर्पण कर दूँगा...।

व्रत करने से किसी पुरूष की आयु घटती बढ़ती नही है अगर ऐसा होता तो इन धर्म के ठेकेदारों को अब तक पुरस्कार मिल चुका होता।हिन्दू धर्म छोड़कर किसी भी धर्म मे ये पाखंड नही है

दुनिया मे करीब(200-250)देश है जिनमे से 56 देश बौद्धमय है और यही कारण है कि हमारे देश की महिलाएं पढ़ लिख कर करवा चौथ, नवरात्र व्रत, और पता नही क्या क्या करती रहती है और खास कर नवरात्र और करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करती है और वही दूसरी तरफ अन्य देशों की महिलाएं पढ़ लिख चाँद पर पहुच जाती हैं

मै इस लेख के माध्य्म से बस इतना कहना चाहता हूं कि आज इस देश को नारी सक्ति की जरूरत है और वो इन सब पाखंडवाद को छोड़कर गौतम बुद्ध के रास्ते चलकर ज्ञान की प्राप्ति कर बौद्धमय भारत का निर्माण करने में सहयोग करे


Thursday 26 April 2018

चलो! बुलावा आया है माता ने बुलाया है

चलो! बुलावा आया है माता ने बुलाया है
ये माता गुफाओं पहाडों में ही बुलाती है
युनिवर्सिटी, कालेजों, स्कूलों में क्यों नहीं बुलाती है?

आज आप जहाँ पे खड़े हैं ,
उसके लिये बाबा साहब लड़े हैं।
आज आपके पास जो दौलत है ,
वो बाबा साहब के बदौलत है ।
आपके पाॅकेट मे जो पेन है ,
वो बाबा साहब की देन है ।
आपके पास आज कार है ,
वो बाबा साहब का उपकार है ।
आपके जीवन मे जो शांति है ,
वो बाबा साहब की क्रांति है ।
आपके तन पे चमचम जो शर्ट है
वो बाबा साहब का किया हुआ कष्ट है
फ़िर भी आप उनके प्रति मौन हैं
तो दिल पे हाँथ रख के बताईये की
आपके तरक्की के पीछे कौन हैं ॥

॥जय भीम, जय संविधान ॥

Saturday 17 February 2018

*समाज को झकझोरते हुए मैं पूछना चाहता हूँ।*

*समाज को झकझोरते हुए मैं पूछना चाहता हूँ।*

1, ऐसा एक भी दिन नहीं है कि उस दिन SC समाज की महिलाओं से बलात्कार नहीं होता हो, ऐसा क्यों ?

2, ऐसा एक भी दिन नहीं है कि उस दिन SC समाज के किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या नहीं होती हो,ऐसा क्यों ?

3, ऐसा एक भी दिन नही है कि SC समाज को मन्दिरों में बेइज्जत नहीं किया जाता हो, ऐसा क्यों ?

4, किसी गाँव में मुस्लिम समाज के केवल 2 घर होते हैं लेकिन मनुवादियों की हिम्मत नहीं होती है कि उनकी बहन बेटी की तरह कोई आँख उठा सके, लेकिन SC समाज के 100 घर होने के बाउजूद हमारी बहन बेटियों की तरफ आँख उठाने के साथ साथ उसे भी घर से उठाकर ले जाते हैं, ऐसा क्यों ?

5, मुस्लिम समाज के मदरसों में कोई मनुवादी हमला करदे ऐसा हो नहीं सकता है लेकिन SC समाज के छात्रावासों में घुसकर हमारी बेटियों का बलात्कार तक कर दिया जाता है और विधार्थियों को हॉस्टल में घुसकर मारा पीटा जाता है, ऐसा क्यों ?

6, मनुवादी समाज की किसी महिला का 600 वर्ष पुराना कोई नृत्य भी फ़िल्म में भी दिखा दिया जाता है तो पूरे देश में कोहराम मचा दिया जाता है और दूसरी तरफ SC समाज की महिलाओं को आज भी बिलकुल नंगी करके गांवों में घुमा दिया जाता है तब पूरे समाज को  सांप क्यों  सूंघ जाता है, ऐसा क्यों ?

7, मनुवादी समाज के एक खूंखार गुंडे को न्याय दिलाने के लिए लाखों का हुजूम उमड़ पड़ता है और दूसरी तरफ SC समाज के  सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को ही जेल में डाल दिया जाता है और उसके लिए कोई सामने नहीं आता है, ऐसा क्यों ?

8, करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़े हुए सांई की मूर्तियों को मन्दिरों से उठाकर पानी में फेंक दिया जाता है, लेकिन SC समाज के कुछ युवा अपने  ही घरों से कुछ फोटोओं को  बाहर फैंकने का साहस करते हैं तो समाज के लोग ही उन्हें खरीखोटी सुनाने लग जाते हैं, ऐसा क्यों  ?

9, अरविंद केजरीवाल की रैली में एक मनुवादी फांसी लगाकर मर जाता है तो वह शहीद कहलाता है और उसके घर पर स्वयं मुख्यमंत्री 10 करोड़ का चेक लेकर पहुंच जाता है लेकिन SC समाज का रोहित वेमुला बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा के लिए अपनी जान कुर्बान कर देता है तो उसको कायर बताया जाता है और न्याय मांगने के लिए प्रदर्शन करने पर रोहित वेमुला की माँ को घसीटकर लॉकअप में डाल दिया जाता है, ऐसा क्यों ?

10, बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्तियां लगाने से बहन मायावती को बजट बर्बाद करने के नाम पर चारों ओर से घेर लिया जाता है लेकिन सरदार पटेल की दुनियां में सबसे ऊंची मूर्ती बनाने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये का बजट खर्च कर दिया जाता है लेकिन कहीं कोई हाय हल्ला नहीं मचाया जाता है, ऐसा क्यों ?

11, मनुवादी मंगल पांडे भी अंग्रेजों की सेना में था लेकिन उसे आजादी का हीरो बना दिया जाता है और दूसरी तरफ SC समाज के बहादुर योद्धाओं को नमन करने वाले लोगों को भीमा कोरे गाँव में मारा जाता है, ऐसा क्यों ?

12, यदि कोई मनुवादी एक दिन के लिए भी जेल गया था उसे स्वतंत्रता सेनानी बता दिया गया लेकिन SC समाज का ऊधम सिंह जलियांवाला बाग हत्याकांड के जनरल डायर को ब्रिटेन की संसद में जाकर मार देता है और उसके जुर्म में उसे फांसी पर लटका दिया जाता है लेकिन फिर भी उसका नाम इतिहास में नहीं लिखा जाता है, ऐसा क्यों ?

   इस प्रकार के हजारों सवाल हैं औऱ उनका कोई जवाब देने वाला नहीं है लेकिन बाबा साहेब अंबेडकर इन सवालों के जवाब जानते थे और भविष्य में ऐसा नहीं हो यह भी चाहते थे।

   बाबा साहेब अंबेडकर का कहना था कि सबसे पहले हमें अपने इतिहास की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है और प्रेरणा से व्यक्ति को अपने आप मे ताकत मिलती है और ताकत से जीत हासिल होती है।

   बाबा साहेब अंबेडकर ने इतिहास को खोजा तो उन्हें पता चला कि भीमा कोरे गाँव में मेरे समाज के केवल 500 योद्धाओं ने 28000 ब्राह्मण पेशवा  सैनिकों को  युद्ध में हरा दिया था,यह जानकर बाबा साहेब अंबेडकर को बहुत गर्व महसूस हुआ और जब तक बाबा साहेब जीवित रहे तब तक वे 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव  जरूर जाते थे और उन 500  बहादुर योद्धाओं को सैल्यूट करते थे।

बाबा साहेब अंबेडकर युवाओं को शक्तिशाली बनाना चाहते थे और कहते थे कि जब भी किसी से बात करते हो तो बकरी की तरह म्यां म्यां नहीं करना है बल्कि सामने वाले की नजरों में अपनी नजर मिलाकर शेर की तरह दहाड़ते हुए अपनी बात रखनी है।

बाबा साहेब अंबेडकर का कहना था कि 100 वर्ष के अपमान भरा जीवन  जीने की बजाय सम्मान की 2 दिन की जिंदगी जीना बेहतर है।

14 अक्टूबर 1956 को भारत में बाबा साहेब अंबेडकर का लिखा हुआ संविधान लागू था और उस संविधान में सभी धर्मों का सम्मान करने की बात बाबा साहेब के द्वारा ही लिखी हुई है लेकिन फिर भी बाबा साहेब अंबेडकर ने 10 लाख लोगों के बीच में  22 प्रतिज्ञा ग्रहण की थी,जबकि लोगों ने बाबा साहेब अंबेडकर को डराने की काफी कोशिश की थी और कहा गया था कि आप 10 लाख लोगों के सामने जब यह कहोगे कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को न भगवान मानूँगा और न उनकी पूजा करूँगा व न किसी गौरी गणपति को देवता मानूँगा व न उनकी पूजा करूँगा।

ऐसा लाखों की भीड़ के बीच में बोलने से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है और वे आप पर हमला भी कर सकते हैं। तब बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि किसी की भावनाओं की वजह से मैं अपनी अभिव्यक्ति की आजादी को बर्बाद नहीं कर सकता हूँ, मुझे  अच्छी तरह मालूम है कि कहाँ क्या करना चाहिए, आप तो यह बताओ कि सबसे ज्यादा खतरा कौन पहुंचा सकता है इस पर लोगों ने कहा कि RSS वालों से ज्यादा खतरा है।

आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि  बाबा साहेब अंबेडकर ने उस खतरे को चैलेंज किया और बम्बई से चलकर नागपुर आये जहां पर RSS का राष्ट्रीय मुख्यालय है और नागपुर में आकर 10  लाख लोगों के सामने एक दो नहीं बल्कि पूरी 22 प्रतिज्ञाएं निडर होकर ग्रहण की थी।

बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का प्रावधान किया है जिसके बल पर आप कानून में रहकर कुछ भी लिख सकते हैं और बोल सकते हैं और कर भी सकते हैं लेकिन कानून के दायरे को ध्यान में रखना जरूरी है।

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भगतसिंह जाट समाज से आता था और जाट समाज को भी शुद्र वर्ण में लिया गया है इसलिये मनुवादियों ने भगतसिंह को उस वक्त आतंकवादी करार दिया था लेकिन आज आजादी मिलने के बाद भगतसिंह को शहीद बोलना उनकी मजबूरी बन गया है,
  उसी प्रकार आज बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन में काम करने वाले बहुत से लोगों को अराजकता फैलाने वाले तत्व घोषित किया जा रहा है और केवल घोषित ही नहीं किया जा रहा है बल्कि उनको नकली अम्बेडकरवादी बताकर उनसे सावधान रहने की सलाह भी दी जा रही है।

बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा से प्रभावित होकर हमारा एक नोजवान भाई एडवोकेट चन्द्र शेखर रावण जेल की सलाखों में बन्द है और दूसरा नौजवान भाई रोहित वेमुला अपने प्राणों की बलि दे चुका है लेकिन ये तो अभी शुरूआत हुई है आप देखेंगे कि ज्यों ज्यों बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा को लोग समझेंगे तो उनमें आत्म सम्मान की भावना पैदा होगी और उन्हें बाबा साहेब अंबेडकर की वह बात याद आएगी की अपमान सहकर घुट घुट कर जीने से तो सम्मान पूर्वक दो दिन की जिंदगी जीना बेहतर है।

इसलिये आज जरूरत है कि युवाओं के जोश को कमजोर न करें बल्कि उनका मार्गदर्शन करें कि आप जोश में भी होश रखें और संविधान के दायरे में रहकर ही धरना प्रदर्शन,भाषण और लेखन व जो भी करना है करें।

संविधान की पालना करेंगे और अनुशासन को बनाये रखेंगे तभी बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ा पाएंगे।

आज पूरे विश्व की नजर अम्बेडकरवादियों पर टिकी हुई हैं आज हमारी एक एक हरकत पर दुनिया टकटकी लगाकर देख रही है लेकिन ज्यों ही हमारे लोग कानून को तोड़ेंगे व अनुशासन को छोड़ेंगे तो तुरन्त ही पुलिस वाले हमारा सर फोड़ेंगे और लाठी चार्ज से जमकर हमें तोड़ेंगे।
फिर विदेश वालों के साथ साथ हमारे अपने भी तुरन्त हमसें मूहँ मोड़ेंगे।

इसलिये जोश में भी होश रखते हुए बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाना है और जहां पर भी समाज पर जुल्म ढाये जा रहे हैं उनका संवेधानिक तरीके से जमकर विरोध करना है।

यदि हम लोग सही तरीके से आगे बढ़ते रहेंगे तो आज नहीं तो कल हमारे लोग जरूर हमे आकर कहेंगे कि भीम सैनिकों संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।

इसी आशा और विश्वास के साथ सभी को क्रांतिकारी जय भीम, जय भारत।

बी एल बौद्ध
समता सैनिक दल

Thursday 8 February 2018

नास्तिक देश



नीदरलैण्ड विश्व का सर्वाधिक नास्तिक देश है!!!
अपराध दर इतनी कम, के जेलखाने तक बन्द करने पडे!!!
100% शिक्षित लोग!!!
रहन सहन का अत्यधिक उच्च स्तर!!!
और एक हमारा देश है@
रोजाना लोग हरा,भगवा, लाल, पीला,नीला,काला झण्डे लेके घूमते है फिर भी
भयंकर गरीबी, बढती बेरोजगार, हत्या, बलात्कार, भेदभाव, जातीय हिंसा, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, गरीबो का शोषण,
हमारा यहाँ आम बात है।
*समाज" के "अनपढ़" लोग  हमारी "समस्या" नहीं है ।*

*"समाज" के "पढे़ लिखे" लोग "गलत" बात का "समर्थन" करने के लिए अपनी "बुध्दि" का उपयोग करते हैं ।*
*ये हमारी "समस्या" है ।*
*कडवा है पर सत्य है.l*

भारत टेक्नोलॉजी में आज तक पीछे क्यों रहा .....? इसे ठीक से समझिये..........!👇👇

भारत टेक्नोलॉजी में आज तक पीछे क्यों रहा .....?
इसे ठीक से समझिये..........!👇👇

             👉 जिन्होंने चमड़े से जूते , चप्पल बनाने का आविष्कार कर,समस्त मानव जाति के पैरों को सुरक्षित ,सुन्दर और निरापद बनाकर समाज सेवा की...... । वे लोग श्रेष्ठ नहीं....?

          👉 जिन्होंने सम्पूर्ण पर्यावरण की सफाई करके सुन्दर और स्वच्छ समाज बनाकर समाज की सेवा की....। वे लोग श्रेष्ठ नहीं....?

           👉 जिन्होंने लकड़ी से फर्नीचर (खाट,पलंग, आलमारी, मेज,कुर्सी ,दरवाजे आदि-आदि) का आविष्कार कर, समाज सेवा की......। वे लोग श्रेष्ठ नहीं....?

            👉 जिन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाने का आविष्कार किया,(जिसमें हमारे पूर्वज मानव खाना और पेय पीने लगे...),को देकर समाज सेवा की.....। वे लोग श्रेष्ठ नहीं.....?

             👉 जिन्होंने बीज से खेती के औजारों का (हल, खुरपी, फावड़ा आदि का ) आविष्कार करके "अन्न पैदा करने की तकनीक" देकर भूखों मरते ,और जंगलों में कन्द-मूल और फल के लिए भटकते मानव की, समाज सेवा की.....। वे लोग श्रेष्ठ नहीं.....?

           👉 जिन्होंने लोहे से "मानव हितकारी यन्त्रों" का आविष्कार किया, साग सब्जी उगाकर या पशु पालन से समाज सेवा की। वे लोग श्रेष्ठ नहीं .....?

             👉 जिन्होंने घर, इमारतें बनाने का आविष्कार करके, प्रकृतिऔर मौसम के क्रूर थपेड़ों से मानव को बचाकर समाज सेवा की। वे लोग श्रेष्ठ नहींं.....?

              👉 जिन्होंने रेशम ,कपास और तमाम प्राकृतिक रेशों से कपड़े बुनने का आविष्कार कर मानव को जो , जंगलों में नंगे, ठंड और भीषण गर्मी में पेड़ की छाल पत्ते और मरे जानवरों की खाल लपेटने को बाध्य था ,को सुन्दर वस्त्र देकर सभ्य और सुसंकृत बनाकर समाज सेवा की। वे लोग श्रेष्ठ नहीं.......?

             👉 जिन्होंने नौकायें और बड़ी-बड़ी पानी के जहाज बनाकर यातायात को सरल बनाकर पूरे मानव सभ्यता को उन्नतिशील और ऐश्वर्यपूर्ण बनाकर , समाज सेवा की । वे लोग श्रेष्ठ नहीं....?.

            👉 जिन शिल्पकारों ने मिट्टी पत्थरों और तमाम प्राकृतिक संसाधनों से श्रेष्ठ,कलात्मक मूर्तियों का निर्माण करके इस समाज और दुनिया को कला और संस्कृति की अनन्त ऊँचाइयों पर पहुँचाकर कर समाज सेवा की । वे लोग श्रेष्ठ नहींं....?

                          लेकिन जिन्होने लंबे समय से समाज को अंधविश्वास ,ढकोसले , पाखंण्ड ,लोक-परलोक,स्वर्ग-नरक,पाप-पुण्य, मोक्षप्राप्ति, कपोल-राशिफल,कल्पित भविष्य-फल ,पुनर्जन्म,जातिवाद ,छूआ-छूत ,अश्पृश्यता , आदि-आदि नारकीय तमाम ढकोसलों के सहारे समाज को पीछे ढकेलकर समाज को अकर्मण्यता और भाग्यवादी बनाकर कर पीछे की तरफ ढकेलने वाले समाज के परजीवी ,दूसरे की खून पसीने की कमाई पर जीवन यापन करने वाले ,जोंक हैं वे ही आज तथाकथित जातिमात्र से श्रेष्ठ है...। यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है ।

               भारत टैक्नोलोजी में पीछे इसी वजह से है कि यहां "नॉन टैक्निकल" जातियां प्रभाव में श्रेष्ठ और प्रभावशाली रहीं हैं और "टैक्निकल जातियां" भेदभाव से शोषित रहीं हैं । अव्वल तो जातिवाद को ही इस देश से शीघ्रातिशीघ्र जड़-मूल सहित दफन कर देना चाहिए ,नहीं तो इस देश का भविष्य में भी वही बुरी स्थिति रहेगी , जो हजारों साल से है.....।

⭕मुहूर्त बनाने और मानने वालों के लिए ये पोस्ट है ,आवश्यक चिंतन करें।-----

⭕मुहूर्त बनाने और मानने वालों के लिए ये पोस्ट है ,आवश्यक चिंतन करें।-----
                                                                विचार किया जाना चाहिये             
गर्भ धारण व शिशु पैदा होने का कोई मूहुर्त नही....

मृत्यु का कोई मुहूर्त नही क्योंकि ये बातें प्राकृतिक हैं।

विद्यालय मे प्रवेश ,परीक्षा मे प्रवेश , नौकरी हेतु इंटरव्यू, नौकरी की ज्वाइनिंग ,वेतन पाने इत्यादि का कोई मुहूर्त नही ,

पहले से तिथि निर्धारित होती है . इसके लिए मुहूर्त ढूंढते भी नहीं ...

फिर नामकरण ,शादी ,मकान हेतु भूमि पूजन ,गृह प्रवेश , मृत्यु भोज ( तेरहवीं) इत्यादि कर्म कान्ड मे मुहूर्त कैसे घुस गया ???

जाहिर है कुछ लोगो ने अपने निहित स्वार्थ हेतु समाज को गुमराह किया व उनके दिमाग को खराब किया .....

"मुहूर्त ", पोंगापंथियों एवं गपोडशंखियों का एक कूटरचित शब्द है।                                              
तो हमारा काम बिना मुहूर्त के क्यों नहीं हो सकता है?
अब आपको विचार करना है कि,

आप और आपका परिवार कब इस मुहूर्त के चक्कर से मुक्त होगा?      
                                
मंदिर का महंत, चर्च का पादरी, मस्जिद का इमाम या कोई ज्योतिष नक्षत्र का ज्ञाता बीमार होता है तो वह इतनी पवित्र जगह को छोड़ कर अस्पताल क्यों जाता है ?
और यदि जाता भी है तो मुहूर्त से क्यों नहीं जाता?   
                                      
कोई पाचवीं फेल ग्रह नक्षत्रों का ज्ञाता हो सकता है  यह हमारा बीमार दिमाग मानता है ।
डाक्टर इंजिनियर बडे से बडा अधिकारी ,पाचवीं फेल एक व्यक्ति का गुलाम है , विज्ञानं पर अविश्वास कर रहे हो।
    
सभी दिन, तिथि, वार, दिशा खगोल और प्रकृति निमित्त है। कोई बुरा नहीं कोई अच्छा नहीं।
जब संसार की सबसे बड़ी 2 घटनाएं जन्म और मृत्यु का कोई मुहूर्त नहीं है तो बाकी भी सब वहम् है।

यह पोस्ट बिना मुहूर्त भेजी हैं

मूलनिवासी इतिहास

sir Manohar barkade ji ki wall se मूलनिवासी इतिहास *ये है भारत का असली इतिहासl बाकि सब झूठ हैl* इस पोस्ट के अन्दर दबे हुए इतिहास के प...