Saturday 17 February 2018

*समाज को झकझोरते हुए मैं पूछना चाहता हूँ।*

*समाज को झकझोरते हुए मैं पूछना चाहता हूँ।*

1, ऐसा एक भी दिन नहीं है कि उस दिन SC समाज की महिलाओं से बलात्कार नहीं होता हो, ऐसा क्यों ?

2, ऐसा एक भी दिन नहीं है कि उस दिन SC समाज के किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या नहीं होती हो,ऐसा क्यों ?

3, ऐसा एक भी दिन नही है कि SC समाज को मन्दिरों में बेइज्जत नहीं किया जाता हो, ऐसा क्यों ?

4, किसी गाँव में मुस्लिम समाज के केवल 2 घर होते हैं लेकिन मनुवादियों की हिम्मत नहीं होती है कि उनकी बहन बेटी की तरह कोई आँख उठा सके, लेकिन SC समाज के 100 घर होने के बाउजूद हमारी बहन बेटियों की तरफ आँख उठाने के साथ साथ उसे भी घर से उठाकर ले जाते हैं, ऐसा क्यों ?

5, मुस्लिम समाज के मदरसों में कोई मनुवादी हमला करदे ऐसा हो नहीं सकता है लेकिन SC समाज के छात्रावासों में घुसकर हमारी बेटियों का बलात्कार तक कर दिया जाता है और विधार्थियों को हॉस्टल में घुसकर मारा पीटा जाता है, ऐसा क्यों ?

6, मनुवादी समाज की किसी महिला का 600 वर्ष पुराना कोई नृत्य भी फ़िल्म में भी दिखा दिया जाता है तो पूरे देश में कोहराम मचा दिया जाता है और दूसरी तरफ SC समाज की महिलाओं को आज भी बिलकुल नंगी करके गांवों में घुमा दिया जाता है तब पूरे समाज को  सांप क्यों  सूंघ जाता है, ऐसा क्यों ?

7, मनुवादी समाज के एक खूंखार गुंडे को न्याय दिलाने के लिए लाखों का हुजूम उमड़ पड़ता है और दूसरी तरफ SC समाज के  सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को ही जेल में डाल दिया जाता है और उसके लिए कोई सामने नहीं आता है, ऐसा क्यों ?

8, करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़े हुए सांई की मूर्तियों को मन्दिरों से उठाकर पानी में फेंक दिया जाता है, लेकिन SC समाज के कुछ युवा अपने  ही घरों से कुछ फोटोओं को  बाहर फैंकने का साहस करते हैं तो समाज के लोग ही उन्हें खरीखोटी सुनाने लग जाते हैं, ऐसा क्यों  ?

9, अरविंद केजरीवाल की रैली में एक मनुवादी फांसी लगाकर मर जाता है तो वह शहीद कहलाता है और उसके घर पर स्वयं मुख्यमंत्री 10 करोड़ का चेक लेकर पहुंच जाता है लेकिन SC समाज का रोहित वेमुला बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा के लिए अपनी जान कुर्बान कर देता है तो उसको कायर बताया जाता है और न्याय मांगने के लिए प्रदर्शन करने पर रोहित वेमुला की माँ को घसीटकर लॉकअप में डाल दिया जाता है, ऐसा क्यों ?

10, बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्तियां लगाने से बहन मायावती को बजट बर्बाद करने के नाम पर चारों ओर से घेर लिया जाता है लेकिन सरदार पटेल की दुनियां में सबसे ऊंची मूर्ती बनाने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये का बजट खर्च कर दिया जाता है लेकिन कहीं कोई हाय हल्ला नहीं मचाया जाता है, ऐसा क्यों ?

11, मनुवादी मंगल पांडे भी अंग्रेजों की सेना में था लेकिन उसे आजादी का हीरो बना दिया जाता है और दूसरी तरफ SC समाज के बहादुर योद्धाओं को नमन करने वाले लोगों को भीमा कोरे गाँव में मारा जाता है, ऐसा क्यों ?

12, यदि कोई मनुवादी एक दिन के लिए भी जेल गया था उसे स्वतंत्रता सेनानी बता दिया गया लेकिन SC समाज का ऊधम सिंह जलियांवाला बाग हत्याकांड के जनरल डायर को ब्रिटेन की संसद में जाकर मार देता है और उसके जुर्म में उसे फांसी पर लटका दिया जाता है लेकिन फिर भी उसका नाम इतिहास में नहीं लिखा जाता है, ऐसा क्यों ?

   इस प्रकार के हजारों सवाल हैं औऱ उनका कोई जवाब देने वाला नहीं है लेकिन बाबा साहेब अंबेडकर इन सवालों के जवाब जानते थे और भविष्य में ऐसा नहीं हो यह भी चाहते थे।

   बाबा साहेब अंबेडकर का कहना था कि सबसे पहले हमें अपने इतिहास की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है और प्रेरणा से व्यक्ति को अपने आप मे ताकत मिलती है और ताकत से जीत हासिल होती है।

   बाबा साहेब अंबेडकर ने इतिहास को खोजा तो उन्हें पता चला कि भीमा कोरे गाँव में मेरे समाज के केवल 500 योद्धाओं ने 28000 ब्राह्मण पेशवा  सैनिकों को  युद्ध में हरा दिया था,यह जानकर बाबा साहेब अंबेडकर को बहुत गर्व महसूस हुआ और जब तक बाबा साहेब जीवित रहे तब तक वे 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव  जरूर जाते थे और उन 500  बहादुर योद्धाओं को सैल्यूट करते थे।

बाबा साहेब अंबेडकर युवाओं को शक्तिशाली बनाना चाहते थे और कहते थे कि जब भी किसी से बात करते हो तो बकरी की तरह म्यां म्यां नहीं करना है बल्कि सामने वाले की नजरों में अपनी नजर मिलाकर शेर की तरह दहाड़ते हुए अपनी बात रखनी है।

बाबा साहेब अंबेडकर का कहना था कि 100 वर्ष के अपमान भरा जीवन  जीने की बजाय सम्मान की 2 दिन की जिंदगी जीना बेहतर है।

14 अक्टूबर 1956 को भारत में बाबा साहेब अंबेडकर का लिखा हुआ संविधान लागू था और उस संविधान में सभी धर्मों का सम्मान करने की बात बाबा साहेब के द्वारा ही लिखी हुई है लेकिन फिर भी बाबा साहेब अंबेडकर ने 10 लाख लोगों के बीच में  22 प्रतिज्ञा ग्रहण की थी,जबकि लोगों ने बाबा साहेब अंबेडकर को डराने की काफी कोशिश की थी और कहा गया था कि आप 10 लाख लोगों के सामने जब यह कहोगे कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को न भगवान मानूँगा और न उनकी पूजा करूँगा व न किसी गौरी गणपति को देवता मानूँगा व न उनकी पूजा करूँगा।

ऐसा लाखों की भीड़ के बीच में बोलने से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है और वे आप पर हमला भी कर सकते हैं। तब बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि किसी की भावनाओं की वजह से मैं अपनी अभिव्यक्ति की आजादी को बर्बाद नहीं कर सकता हूँ, मुझे  अच्छी तरह मालूम है कि कहाँ क्या करना चाहिए, आप तो यह बताओ कि सबसे ज्यादा खतरा कौन पहुंचा सकता है इस पर लोगों ने कहा कि RSS वालों से ज्यादा खतरा है।

आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि  बाबा साहेब अंबेडकर ने उस खतरे को चैलेंज किया और बम्बई से चलकर नागपुर आये जहां पर RSS का राष्ट्रीय मुख्यालय है और नागपुर में आकर 10  लाख लोगों के सामने एक दो नहीं बल्कि पूरी 22 प्रतिज्ञाएं निडर होकर ग्रहण की थी।

बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का प्रावधान किया है जिसके बल पर आप कानून में रहकर कुछ भी लिख सकते हैं और बोल सकते हैं और कर भी सकते हैं लेकिन कानून के दायरे को ध्यान में रखना जरूरी है।

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भगतसिंह जाट समाज से आता था और जाट समाज को भी शुद्र वर्ण में लिया गया है इसलिये मनुवादियों ने भगतसिंह को उस वक्त आतंकवादी करार दिया था लेकिन आज आजादी मिलने के बाद भगतसिंह को शहीद बोलना उनकी मजबूरी बन गया है,
  उसी प्रकार आज बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन में काम करने वाले बहुत से लोगों को अराजकता फैलाने वाले तत्व घोषित किया जा रहा है और केवल घोषित ही नहीं किया जा रहा है बल्कि उनको नकली अम्बेडकरवादी बताकर उनसे सावधान रहने की सलाह भी दी जा रही है।

बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा से प्रभावित होकर हमारा एक नोजवान भाई एडवोकेट चन्द्र शेखर रावण जेल की सलाखों में बन्द है और दूसरा नौजवान भाई रोहित वेमुला अपने प्राणों की बलि दे चुका है लेकिन ये तो अभी शुरूआत हुई है आप देखेंगे कि ज्यों ज्यों बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा को लोग समझेंगे तो उनमें आत्म सम्मान की भावना पैदा होगी और उन्हें बाबा साहेब अंबेडकर की वह बात याद आएगी की अपमान सहकर घुट घुट कर जीने से तो सम्मान पूर्वक दो दिन की जिंदगी जीना बेहतर है।

इसलिये आज जरूरत है कि युवाओं के जोश को कमजोर न करें बल्कि उनका मार्गदर्शन करें कि आप जोश में भी होश रखें और संविधान के दायरे में रहकर ही धरना प्रदर्शन,भाषण और लेखन व जो भी करना है करें।

संविधान की पालना करेंगे और अनुशासन को बनाये रखेंगे तभी बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ा पाएंगे।

आज पूरे विश्व की नजर अम्बेडकरवादियों पर टिकी हुई हैं आज हमारी एक एक हरकत पर दुनिया टकटकी लगाकर देख रही है लेकिन ज्यों ही हमारे लोग कानून को तोड़ेंगे व अनुशासन को छोड़ेंगे तो तुरन्त ही पुलिस वाले हमारा सर फोड़ेंगे और लाठी चार्ज से जमकर हमें तोड़ेंगे।
फिर विदेश वालों के साथ साथ हमारे अपने भी तुरन्त हमसें मूहँ मोड़ेंगे।

इसलिये जोश में भी होश रखते हुए बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाना है और जहां पर भी समाज पर जुल्म ढाये जा रहे हैं उनका संवेधानिक तरीके से जमकर विरोध करना है।

यदि हम लोग सही तरीके से आगे बढ़ते रहेंगे तो आज नहीं तो कल हमारे लोग जरूर हमे आकर कहेंगे कि भीम सैनिकों संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।

इसी आशा और विश्वास के साथ सभी को क्रांतिकारी जय भीम, जय भारत।

बी एल बौद्ध
समता सैनिक दल

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