लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पाई!
आज चारा घोटाले का मुख्य आरोपी जगनाथ मिश्र बरी हो गया और इस घोटाले में FIR दर्ज करवाने वाले घोटाले का दोषी करार दिया जाता है तो सवाल उठना लाजिमी है।ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आजादी के बाद अघोषित मनुस्मृति से चलने वाले इस देश मे मूलनिवासी लोगों को चुन-चुनकर बदनाम किया व इनकी गुलामी न स्वीकार करने वाले लोगों को सलाखों के पीछे भेजा गया हो!आदर्श न्याय व्यवस्था में कहा गया है कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए बल्कि राज्य की जनता को न्याय होता प्रतीत होना भी चाहिए ताकि कोई भी नागरिक कानून से खुद को बड़ा समझने की भूल न करे।जीप घोटाले से लेकर जीजा घोटाले तक किसी मनुवादी को कोई सजा नहीं हुई!जिन पिछड़ों-दलितों-अल्पसंख्यकों ने इनकी गुलामी को स्वीकार किया उनको सबूतों के अभाव में बरी करने के बजाय सबूत जुटाने के लिए देरी का हवाला देकर गुलाम बनाये रखने की प्रक्रिया अपनाई गई!आज मुख्य आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो गया तो देश के प्रबुद्ध नागरिकों व भावी पीढ़ी को यह सोचना चाहिए कि घोटाला हो जाये और हमारी कानून की रखवाली एजेंसीयाँ सबूत नहीं जुटा पाये तो खोट कहाँ है?इन जांच एजेंसीयों के कर्ता-धर्ता कौन है?
जो मनुवादी व्यवस्था के लिए चुनौती के रूप में उभरा उसको मनुवादी मीडिया ने जनभावना को भड़काकर दोषी ठहरा दिया जिससे उनकी ताकत को कुंद कर दिया गया।जो नहीं माने उनको मनुस्मृति से चलने वाली न्यायपालिका ने दोषी ठहराकर जेल भेज दिया!अगर आपको लगता है कि इस देश की न्याय व्यवस्था मनुस्मृति से नहीं चलती तो तमाम निचली उच्च न्यायालय,उच्चतम न्यायालय के जजों की जाति को देख लीजिए।राजस्थान हाइकोर्ट में घुसते ही जो मूर्ति नजर आती है वह देश व देश के संविधान को चुनौती देने वाले मनु की है।भारतीय संविधान के हिसाब से यह देश कार्यपालिका से चलता है व जनमत तय करता है कि इस देश को कौन चलाएगा!न्यायपालिका व विधायिका कार्यपालिका की भावना को ध्यान में रखते हुए लिए गए निर्णयों पर मोहर लगाती है।
आज कार्यपालिका मनुवादियों के हाथों में है व न्यायपालिका पूर्ण रूप से मनुवादियों की छाप लिए खड़ी है।जो निर्णय कार्यपालिका ने ले लिया उस पर बड़े जोश से छाप लगाकर अनुमोदित कर देती है।मनुवादी मीडिया जनता में स्वीकार्यता पैदा करवाने के लिए हर तरीके का हथकंडा अपना रहा है।लोकतंत्र में जनमत तैयार करने के लिए सबसे बड़ी भूमिका मीडिया की है।आज देश का मीडिया लालू यादव को किस कोठरी में रखा जाएगा उसके बारे में भविष्यवाणी कर रहा है लेकिन यह आपको कभी नहीं बताएगा कि मुख्य आरोपी को बरी कैसे किया गया?मनुवादी मीडिया इस मुद्दे पर बहस कभी नहीं करेगा कि किन अफसरों ने सबूतों के साथ हेराफेरी की या सबूत जुटाने में कोताही बरती?यह मनुवादी मीडिया आपको यह नहीं बताएगा कि सबूत जुटाने में नाकाम अफसरों पर संविधान के मुताबिक क्या कार्यवाही की जानी चाहिए?
इस देश मे सत्ता कभी भी जनमत के हिसाब से नहीं चुनी गई और न कोई बड़ा अदालती फैसला संविधान के मुताबिक हुआ है!सरकार में बने रहने या बनाने के लिए समर्थन देने वाले लोगों ने कभी भी जनमत का आदर नहीं किया है!सरकारी जांच एजेंसीयां सिर्फ सत्ता की सहयोगी बनकर समर्थन जुटाने की राजनैतिक शाखाएं बनकर काम करती रही है!भ्रष्टाचार के आरोप व सजाएं सिर्फ सत्ता विरोधी लोगों का मनोबल तोड़ने के लिए उपयोग की जाती रही है!यही कारण रहा है कि देश तरक्की करता रहा और देश की जनता भुखमरी की शिकार होती गई।आज पूर्ण बहुमत की सरकार व सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री के कार्यकाल में देश भुखमरी के मामले में 100वें पायदान तक पहुंच गया है लेकिन आज इस देश मे चर्चा शिक्षा,चिकित्सा,भुखमरी,किसानों की आत्महत्या पर न होकर सिर्फ और सिर्फ झूठे राष्ट्रवाद में जाकर सिमट गई है।
तथाकथित आजादी के 30साल बाद जनता ने बगावत का झंडा उठाया और मनुवादी व्यवस्था को चुनौती दी थी और उसके बाद पक्ष-विपक्ष के मनुवादी लोगों ने समझौता करके बहुसंख्यक जनता को न्याय, धर्म व जाति में इस तरह दुबारा धकेला कि आज पूरा देश बर्बादी की आग में झुलसकर कराह रहा है।न्याय पालिका बगावत को रोकने के लिए कभी न टूटने वाली दीवार बनकर उभरी!जब भी जनता में नाराजगी या विद्रोह की भावना भड़की तब न्यायपालिका ने सरकार के खिलाफ इस तरह के नोटिस जारी करके नाराजगी जाहिर करने का नाटक किया कि जनता को लगे कि न्यायपालिका संविधान की रक्षा कर रही है लेकिन जनता ने कभी नहीं सोचा कि कुत्ते-बिल्ली कब से दूध की रखवाली करने लग गए!आज हजारों मुस्लिम गद्दारी के आरोपों में जेलों में बहुमूल्य जीवन बर्बाद कर रहे है,शबीरपुर में दलित बस्तियां जलाने वाले लोग खुले आम धमकियां देते हुए घूम रहे है और दलितों के हकों की आवाज उठाने वाला चंद्रशेखर रासुका के तहत जेल में है!राजसमंद में एक हिन्दू आतंकी के समर्थन में हजारों लोग सड़कों पर उतरते है और देशद्रोही लोग न्यायपालिका पर लहरा रहे तिरेंगे झंडे को उतारकर भगवा झंडा लगा देते है और देश की कार्यपालिका,विधायिका,न्यायपालिका सर्दियों में ठंडक पाकर सुप्तावस्था में रजाई ओढ़कर सो जाती है!
तमाम घोटालों के आरोपी अगर मनुवादी है तो सबूतों के अभाव में बरी हो जाते है,जिन पिछडो-दलितों-अल्पसंख्यकों ने इनकी गुलामी स्वीकार कर ली उनके मुकदमे लंबित कर दिए जाते है!मूलनिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर व्यवस्था आंख मूंद लेती है!मीडिया मनुवादियों की सत्ता का सिर्फ चापलूस बनकर प्रचार-प्रसार में लग गया है!अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत यूँ ही नहीं बनी है।आज सूचना क्रांति के दौर में भी ये लोग झूठ-फरेब की राजनीति करने में सफल हो रहे है, पक्षपाती न्यायपालिका करती है!इनके कुकर्मों की कालिख पर रंगरोगन करता मीडिया मौजूद है ये लोग इसलिए सफल नहीं हो रहे है कि ये लोग ताकतवर है बल्कि 1977 के समय जो बगावत हुई थी उसके बाद इन मनुवादियों ने सबक सीखकर आगे बढ़ने की कला सीख ली और हम लोग इनके खिलाफ लड़ने वाले लोगों को या तो भूल गए या जयंती-पुण्यतिथि विशेषज्ञ बनकर फूल मालाएं चढाने में व्यस्त हो गए!व्यवस्था में परिवर्तन की क्रांति विचारों से पैदा होती है।हम अपने महापुरुषों के विचारों को त्यागकर सुविधाभोगी बन गए।व्यवस्था के मारे गरीबों-मजलूमों की आवाज बनकर आगे बढ़ने के बजाय मनुवादी मीडिया में जगह बनाने के जाल के फंसकर अपने ही पीछे छूटे बंधुओं के लिए दुश्मन बन बैठे।
अपने पुरखों के सदियों के संघर्ष को हम दिखावी लम्हों के लिए भूल बैठे।चौटाला जेल गए,मधु कोड़ा जेल गए,लालू यादव दोषी करार दिए गए और आने वाले समय मे हर वो नेता जेल जाएगा जो बहुसंख्यक जनता के हकों की आवाज बनकर आगे आएगा!राजस्थान के जो लोग कांग्रेस-बीजेपी से परे आवाज बनकर उभरने की कोशिश कर रहे है वो मुकदमे झेलने व जेल जाने के लिए तैयार रहे!अपनो को भूलकर,बर्बादी में छोड़कर कांग्रेस-बीजेपी का झंडा थामने वाले लोगों को हमारी तरफ से अंतिम जोहार!हम लम्हो ने खता की व सदियों ने सजा पाई वाली कहावत को उल्टा करके लम्हों की सजा को झेलकर सदियों के लिए खुशहाली की इबादत्त लिखने निकले लोग है।न कभी झुकेंगे व न कभी रुकेंगे।इस जंग में जो हमसे जुड़ना चाहे उनका स्वागत है।हम हर युवा को एक नेता के रूप में खड़ा करने में विश्वास करते है। हर गांव में बसंती चोला पहने घूमने वाली टोलियां हमारी भावी दिशा व दशा तय करेगी न कि कोई नेता विशेष!चाणक्य का जवाब देने के लिए लाखों चाणक्य मैदान में उतरेंगे और चंद्रगुप्त मौर्य अपने आप तैयार होते जाएंगे।हम दुबारा मौर्यवंश जिंदा करेंगे लेकिन एक चाणक्य प्रधानमंत्री नहीं होगा।हम फिर से मौर्य वंश का उद्भव तय करेंगे लेकिन भविष्य में कभी पुष्यमित्र शुंग पैदा नहीं होगा ऐसा इंतजाम करेंगे।
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