Monday, 25 December 2017

हरिजन कौन है?

हरिजन कौन है?

😳 हरिजन 😳

रोज़ सवेरे मंदिर जाता
रखता है मंगल उपवास
शनिदेव की करे अर्चना
बेटा इसका रामनिवास
जय जगदीश हरे आँगन में
घर में इसके कीर्तन है
     भीमराव का बहुजन नहीं यह।
      गांधी का हरिजन है।।
धर्म दूसरों का ढोता है
नंगें पाँव भगा -फिरता
चुल्लू भर पानी की खातिर
यहाँ वहां गिरता -पड़ता
कावंडिया बन कर करे गुलामी
अकल से भी यह निर्धन है
    भीमराव का बहुजन नहीं यह।
     गांधी का हरिजन है ।।
मीटर लंबा तिलक भाल पर
सुतली डोर गले डाले
हाथ कलावा बांधे फिरता
मटरू का पोता काले
इसके आगे शर्माता अब
पंडित रामचरण है
   भीमराव का बहुजन नहीं यह।
    गांधी का हरिजन है ।।
इसको तो कुछ पता नहीं है
स्कूल,कॉलेज  क्या होता
देसी-थैली डाल हलक में
दिन भर गफलत में रहता
बालक इसके अनपढ़ रह गए
ज्ञान का खाली बर्तन है
    भीमराव का बहुजन नहीं यह
      गांधी का हरिजन है।।
अम्मा इसकी अमरनाथ में
मर गयी पत्थर के नीचे
बर्फ में दबकर बाप मरा है
मानसरोवर के बीचे
वैष्णो देवी भइया खोया
आया इस पर दुर्दिन है
     भीमराव का बहुजन नहीं यह
      गांधी का हरिजन है।।
पढ़ -लिखकर धोखा देता है
धूर्त बना मक्कार है
आरक्षण लेता बढ़ -बढ़कर
कोठी,बंगला,कार है
अपनी जाति छिपाकर रहता
बेटा इसका सर्जन है
      भीमराव का बहुजन नहीं यह।
       गांधी का हरिजन है।।
सच्ची बात बताता इसको
उसी को आँख दिखाता है
भगवा-रंग में सराबोर यह
गीत राम के गाता है
हिन्दू-मुस्लिम के झगडे में
सबसे आगे यही जन है
    भीमराव का बहुजन नहीं यह।
     गांधी का हरिजन है।।
दलित-साहित्य तनिक न भाता
मौलिक चिंतन से ना प्यार
वर्ण-व्यवस्था ये ना जाने
लिख-लिख करके गया मैं हार
पोंगा-पंडित को पढता है
जिसका झूठा दर्शन है
    भीमराव का बहुजन नहीं यह।
     गांधी का हरिजन है।।

Sunday, 24 December 2017

लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पाई!

लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पाई!

    आज चारा घोटाले का मुख्य आरोपी जगनाथ मिश्र बरी हो गया और इस घोटाले में FIR दर्ज करवाने वाले घोटाले का दोषी करार दिया जाता है तो सवाल उठना लाजिमी है।ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आजादी के बाद अघोषित मनुस्मृति से चलने वाले इस देश मे मूलनिवासी लोगों को चुन-चुनकर बदनाम किया व इनकी गुलामी न स्वीकार करने वाले लोगों को सलाखों के पीछे भेजा गया हो!आदर्श न्याय व्यवस्था में कहा गया है कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए बल्कि राज्य की जनता को न्याय होता प्रतीत होना भी चाहिए ताकि कोई भी नागरिक कानून से खुद को बड़ा समझने की भूल न करे।जीप घोटाले से लेकर जीजा घोटाले तक किसी मनुवादी को कोई सजा नहीं हुई!जिन पिछड़ों-दलितों-अल्पसंख्यकों ने इनकी गुलामी को स्वीकार किया उनको सबूतों के अभाव में बरी करने के बजाय सबूत जुटाने के लिए देरी का हवाला देकर गुलाम बनाये रखने की प्रक्रिया अपनाई गई!आज मुख्य आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो गया तो देश के प्रबुद्ध नागरिकों व भावी पीढ़ी को यह सोचना चाहिए कि घोटाला हो जाये और हमारी कानून की रखवाली एजेंसीयाँ सबूत नहीं जुटा पाये तो खोट कहाँ है?इन जांच एजेंसीयों के कर्ता-धर्ता कौन है?
                  जो मनुवादी व्यवस्था के लिए चुनौती के रूप में उभरा उसको मनुवादी मीडिया ने जनभावना को भड़काकर दोषी ठहरा दिया जिससे उनकी ताकत को कुंद कर दिया गया।जो नहीं माने उनको मनुस्मृति से चलने वाली न्यायपालिका ने दोषी ठहराकर जेल भेज दिया!अगर आपको लगता है कि इस देश की न्याय व्यवस्था मनुस्मृति से नहीं चलती तो तमाम निचली उच्च न्यायालय,उच्चतम न्यायालय के जजों की जाति को देख लीजिए।राजस्थान हाइकोर्ट में घुसते ही जो मूर्ति नजर आती है वह देश व देश के संविधान को चुनौती देने वाले मनु की है।भारतीय संविधान के हिसाब से यह देश कार्यपालिका से चलता है व जनमत तय करता है कि इस देश को कौन चलाएगा!न्यायपालिका व विधायिका कार्यपालिका की भावना को ध्यान में रखते हुए लिए गए निर्णयों पर मोहर लगाती है।
                   आज कार्यपालिका मनुवादियों के हाथों में है व न्यायपालिका पूर्ण रूप से मनुवादियों की छाप लिए खड़ी है।जो निर्णय कार्यपालिका ने ले लिया उस पर बड़े जोश से छाप लगाकर अनुमोदित कर देती है।मनुवादी मीडिया जनता में स्वीकार्यता पैदा करवाने के लिए हर तरीके का हथकंडा अपना रहा है।लोकतंत्र में जनमत तैयार करने के लिए सबसे बड़ी भूमिका मीडिया की है।आज देश का मीडिया लालू यादव को किस कोठरी में रखा जाएगा उसके बारे में भविष्यवाणी कर रहा है लेकिन यह आपको कभी नहीं बताएगा कि मुख्य आरोपी को बरी कैसे किया गया?मनुवादी मीडिया इस मुद्दे पर बहस कभी नहीं करेगा कि किन अफसरों ने सबूतों के साथ हेराफेरी की या सबूत जुटाने में कोताही बरती?यह मनुवादी मीडिया आपको यह नहीं बताएगा कि सबूत जुटाने में नाकाम अफसरों पर संविधान के मुताबिक क्या कार्यवाही की जानी चाहिए?
                     इस देश मे सत्ता कभी भी जनमत के हिसाब से नहीं चुनी गई और न कोई बड़ा अदालती फैसला संविधान के मुताबिक हुआ है!सरकार में बने रहने या बनाने के लिए समर्थन देने वाले लोगों ने कभी भी जनमत का आदर नहीं किया है!सरकारी जांच एजेंसीयां सिर्फ सत्ता की सहयोगी बनकर समर्थन जुटाने की राजनैतिक शाखाएं बनकर काम करती रही है!भ्रष्टाचार के आरोप व सजाएं सिर्फ सत्ता विरोधी लोगों का मनोबल तोड़ने के लिए उपयोग की जाती रही है!यही कारण रहा है कि देश तरक्की करता रहा और देश की जनता भुखमरी की शिकार होती गई।आज पूर्ण बहुमत की सरकार व सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री के कार्यकाल में देश भुखमरी के मामले में 100वें पायदान तक पहुंच गया है लेकिन आज इस देश मे चर्चा शिक्षा,चिकित्सा,भुखमरी,किसानों की आत्महत्या पर न होकर सिर्फ और सिर्फ झूठे राष्ट्रवाद में जाकर सिमट गई है।

         तथाकथित आजादी के 30साल बाद जनता ने बगावत का झंडा उठाया और मनुवादी व्यवस्था को चुनौती दी थी और उसके बाद पक्ष-विपक्ष के मनुवादी लोगों ने समझौता करके बहुसंख्यक जनता को न्याय, धर्म व जाति में इस तरह दुबारा धकेला कि आज पूरा देश बर्बादी की आग में झुलसकर कराह रहा है।न्याय पालिका बगावत को रोकने के लिए कभी न टूटने वाली दीवार बनकर उभरी!जब भी जनता में नाराजगी या विद्रोह की भावना भड़की तब न्यायपालिका ने सरकार के खिलाफ इस तरह के नोटिस जारी करके नाराजगी जाहिर करने का नाटक किया कि जनता को लगे कि न्यायपालिका संविधान की रक्षा कर रही है लेकिन जनता ने कभी नहीं सोचा कि कुत्ते-बिल्ली कब से दूध की रखवाली करने लग गए!आज हजारों मुस्लिम गद्दारी के आरोपों में जेलों में बहुमूल्य जीवन बर्बाद कर रहे है,शबीरपुर में दलित बस्तियां जलाने वाले लोग खुले आम धमकियां देते हुए घूम रहे है और दलितों के हकों की आवाज उठाने वाला चंद्रशेखर रासुका के तहत जेल में है!राजसमंद में एक हिन्दू आतंकी के समर्थन में हजारों लोग सड़कों पर उतरते है और देशद्रोही लोग न्यायपालिका पर लहरा रहे तिरेंगे झंडे को उतारकर भगवा झंडा लगा देते है और देश की कार्यपालिका,विधायिका,न्यायपालिका सर्दियों में ठंडक पाकर सुप्तावस्था में रजाई ओढ़कर सो जाती है!
                तमाम घोटालों के आरोपी अगर मनुवादी है तो सबूतों के अभाव में बरी हो जाते है,जिन पिछडो-दलितों-अल्पसंख्यकों ने इनकी गुलामी स्वीकार कर ली उनके मुकदमे लंबित कर दिए जाते है!मूलनिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर व्यवस्था आंख मूंद लेती है!मीडिया मनुवादियों की सत्ता का सिर्फ चापलूस बनकर प्रचार-प्रसार में लग गया है!अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत यूँ ही नहीं बनी है।आज सूचना क्रांति के दौर में भी ये लोग झूठ-फरेब की राजनीति करने में सफल हो रहे है, पक्षपाती न्यायपालिका करती है!इनके कुकर्मों की कालिख पर रंगरोगन करता मीडिया मौजूद है ये लोग इसलिए सफल नहीं हो रहे है कि ये लोग ताकतवर है बल्कि 1977 के समय जो बगावत हुई थी उसके बाद इन मनुवादियों ने सबक सीखकर आगे बढ़ने की कला सीख ली और हम लोग इनके खिलाफ लड़ने वाले लोगों को या तो भूल गए या जयंती-पुण्यतिथि विशेषज्ञ बनकर फूल मालाएं चढाने में व्यस्त हो गए!व्यवस्था में परिवर्तन की क्रांति विचारों से पैदा होती है।हम अपने महापुरुषों के विचारों को त्यागकर सुविधाभोगी बन गए।व्यवस्था के मारे गरीबों-मजलूमों की आवाज बनकर आगे बढ़ने के बजाय मनुवादी मीडिया में जगह बनाने के जाल के फंसकर अपने ही पीछे छूटे बंधुओं के लिए दुश्मन बन बैठे।
                     अपने पुरखों के सदियों के संघर्ष को हम दिखावी लम्हों के लिए भूल बैठे।चौटाला जेल गए,मधु कोड़ा जेल गए,लालू यादव दोषी करार दिए गए और आने वाले समय मे हर वो नेता जेल जाएगा जो बहुसंख्यक जनता के हकों की आवाज बनकर आगे आएगा!राजस्थान के जो लोग कांग्रेस-बीजेपी से परे आवाज बनकर उभरने की कोशिश कर रहे है वो मुकदमे झेलने व जेल जाने के लिए तैयार रहे!अपनो को भूलकर,बर्बादी में छोड़कर कांग्रेस-बीजेपी का झंडा थामने वाले लोगों को हमारी तरफ से अंतिम जोहार!हम लम्हो ने खता की व सदियों ने सजा पाई वाली कहावत को उल्टा करके लम्हों की सजा को झेलकर सदियों के लिए खुशहाली की इबादत्त लिखने निकले लोग है।न कभी झुकेंगे व न कभी रुकेंगे।इस जंग में जो हमसे जुड़ना चाहे उनका स्वागत है।हम हर युवा को एक नेता के रूप में खड़ा करने में विश्वास करते है। हर गांव में बसंती चोला पहने घूमने वाली टोलियां हमारी भावी दिशा व दशा तय करेगी न कि कोई नेता विशेष!चाणक्य का जवाब देने के लिए लाखों चाणक्य मैदान में उतरेंगे और चंद्रगुप्त मौर्य अपने आप तैयार होते जाएंगे।हम दुबारा मौर्यवंश जिंदा करेंगे लेकिन एक चाणक्य प्रधानमंत्री नहीं होगा।हम फिर से मौर्य वंश का उद्भव तय करेंगे लेकिन भविष्य में कभी पुष्यमित्र शुंग पैदा नहीं होगा ऐसा इंतजाम करेंगे।

हिन्दू होने का गर्व।

एक बार एक नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी।
एक कौए ने लाश देखी, तो प्रसन्न हो उठा, तुरंत उस पर आ बैठा।
यथेष्ट मांस खाया। नदी का जल पिया।
उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए कौए ने परम तृप्ति की डकार ली।
वह सोचने लगा, अहा! यह तो अत्यंत सुंदर यान है, यहां भोजन और जल की भी कमी नहीं। फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूं?
कौआ नदी के साथ बहने वाली उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा।
भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता, प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता।
अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह, किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर वह विभोर होता रहा।
नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली।
वह मुदित थी कि उसे अपना गंतव्य प्राप्त हुआ।
सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था, किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो बड़ी दुर्गति हो गई।
चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे ऐसी जगह ला पटका था, जहां उसके लिए न भोजन था, न पेयजल और न ही कोई आश्रय। सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि तरंगायित हो रही थी।
कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में पंख फटकारता रहा, अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से झूठा रौब फैलाता रहा, किंतु महासागर का ओर-छोर उसे कहीं नजर नहीं आया। आखिरकार थककर, दुख से कातर होकर वह सागर की उन्हीं गगनचुंबी लहरों में गिर गया। एक विशाल मगरमच्छ उसे निगल गया।

महत्वपूर्ण :

शारीरिक सुख में लिप्त उन सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भी गति उसी कौए की तरह होने वाली है, जो  आरक्षण का लाभ लेकर बाबा साहेब को भूल गए है

तथा

अपने को हिन्दु की नानी समझ रहे हैं।

बिना पूजा पाठ किये पानी नही पियेंगे। सभी हिन्दु देवी देवताओं जिसे पुजने हेतु बाबा साहेब ने मना किया था उसकी पूजा   करेगे।

चारो धाम की यात्रा करेगे। किसी गरीब के बच्चे की पढ़ाई लिखाई  शादी व्याह में  कोई मदद नही करेंगे।

ऐसे लोगो की आने वाली पीढ़ी की दुर्गति होने वाली है फिर भी इन्हें समझ मे नही आ रहा है ।

जीत किसके लिए, हार किसके लिए

ज़िंदगीभर ये तकरार किसके लिए..

जो भी पाया है आरक्षण में वो चला जायेगा एक दिन

फिर ये इतना अहंकार किसके लिए।

*जय भीम जय संविधान*
           🌸🌸🌸
*जय भीम नमो बुद्धाय।*

Saturday, 23 December 2017

विजय माल्या ब्राह्मण था और देश का 9 हजार करोड़ रूपए लेकर भाग गया, पुलिस, सीबीआई उसका कुछ नहीं कर पाई..इसी तरह दिल्ली का बलात्कारी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित भी ब्राह्मण है, सैकड़ों लड़कियों की जिंदगीबर्बाद कर चुका है...और भी तक फरार चल रहा है,सीबीआई और पुलिस उसका भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी...न्यायालय में बैठे जनेऊधारी... जज अपनी जात वाले बलात्कारी बाबा को बचाने में जान लगा देंगे,इस देश में पुलिस और सीबीआई केवल लालूजी जैसे पिछड़े और मधु कोड़ा जैसे आदिवासी नेताओं को फसाने में अपना पूरा हुनर दिखाते हैं,और न्यायपालिका में बैठे जनेऊधारी अपने पूरे कानूनी ज्ञान का इश्तेमाल पिछड़े ,दलित, आदिवासी औरमुसलमानों को सजा देने के लिए ही करते हैं.

Friday, 22 December 2017

आरक्षण हटा दो ---- आरक्षण हटा दो

आरक्षण हटा दो ---- आरक्षण हटा दो
सभी वर्गों को सामान्य बना दो
कुछ दिनों के लिए
पुजारी को दरबान बना दो
अछूतों को भगवान बना दो
सदियों के आरक्षण को हटा दो
पुरुषों को घर के काम दे दो
औरतों को सुलतान बना दो
आरक्षण हटा दो
ट्रेनों से भी आरक्षण हटा कर
सारे डिब्बों को सामान्य बना दो
आरक्षण हटा दो
ज़मीदार को मज़दूरी करने दो
और मज़दूर को जमींदार बना दो
आरक्षण हटा दो
जिसको शूद्र कहते हैं
उनको मठ में बिठा कर
शंकराचार्य बना दो
आरक्षण हटा दो
कुछ कार्यों को आरक्षित रखा गया है
जैसे सफाई करना
खेती करना
भैंस पालना
सब्ज़ी उगाना
इस आरक्षण को भी हटाओ
और इन लोगों को आचार्य बनाओ
जो आचार्य हैं उनसे
और ये सारे काम करवाओ
और आरक्षण हटा दो
साहित्य में भी आरक्षण है
और खेल में
संगीत में भी
यहाँ भी सभी वर्गों को जगह दो
और आरक्षण हटा दो
राजनीति में परिवारों का आरक्षण
वंशों का दशकों से संरक्षण
बात फ़िल्मों की
चाहे मीडिया की
या बिज़नेस की
सबको समान मौका दो
और आरक्षण हटा दो
बंद कर दो प्राइवेट स्कूलो को
छोड़ कर भेदभाव वाले उसूलों को
हर इंसान को इंसान बना दो
भूमिकाओं की अदला बदली कर दो
और आरक्षण हटा दो
खुद को उच्च समझने वालों से भी कुछ दिन लेट्रिंग बाथरूम टॉयलेट साफ करा दो
और आरक्षण हटा दो
ST/SC/OBC को भी शंकराचार्य बनाकर मंदिर में बैठा दो और आरक्षण खत्म करा दो
एक नया संसार बना दो
और आरक्षण हटा दो ।
जय भीम जय भारत

EVM Hacking

बीजेपी और चुनाव आयोग की सांठ गांठ ज्यादा दिन छुपने वाली नही है। ईवीएम हैकिंग को लेकर संदेह के दायरे मे आई बीजेपी के लिये आने वाले दिन बहुत ही बुरे हो सकते है क्योकि ईवीएम के बारे मे दिन ब दिन बीजेपी और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता घटती ही जा रही है।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने यह कह कर सनसनी फैला दी है कि उत्तर प्रदेश उत्तराखंड गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव सिर्फ और सिर्फ बीजेपी नें ईवीएम हेकिंग की वजह से जीता है।

कांग्रेस और समूचे विपक्ष को ईवीएम पर खुलकर विरोध और आदोलन तब तक करना चाहिए जब तक मोदी सरकार  ईवीएम बैन कर बैलेट पेपर्स से चुनाव की घोषणा न कर दे।

http://www.thedailygraph.co.in/31488-2/

Thursday, 21 December 2017

विज्ञान चालीसा

उदय एक भारतीय
विज्ञान_चालीसा पढ़ें।

विज्ञान चालीसा, (दुनिया के महान वैज्ञानिक और उनके invention)

जय न्यूटन विज्ञान के आगर,
गति खोजत ते भरि गये सागर ।

ग्राहम् बेल फोन के दाता,
जनसंचार के भाग्य विधाता ।

बल्ब प्रकाश खोज करि लीन्हा,
मित्र एडीशन परम प्रवीना ।

बायल और चाल्स ने जाना,
ताप दाब सम्बन्ध पुराना ।

नाभिक खोजि परम गतिशीला,
रदरफोर्ड हैं अतिगुणशीला ।

खोज करत जब थके टामसन,
तबहिं भये इलेक्ट्रान के दर्शन ।

जबहिं देखि न्यट्रोन को पाए,
जेम्स चैडविक अति हरषाये ।

भेद रेडियम करत बखाना,
मैडम क्यूरी परम सुजाना ।

बने कार्बनिक दैव शक्ति से,
बर्जीलियस के शुद्ध कथन से ।

बनी यूरिया जब वोहलर से,
सभी कार्बनिक जन्म यहीं से ।

जान डाल्टन के गूँजे स्वर,
आशिंक दाब के योग बराबर ।

जय जय जय द्विचक्रवाहिनी,
मैकमिलन की भुजा दाहिनी ।

सिलने हेतु शक्ति के दाता,
एलियास हैं भाग्यविधाता ।

सत्य कहूँ यह सुन्दर वचना,
ल्यूवेन हुक की है यह रचना ।

 कोटि सहस्र गुना सब दीखे,
सूक्ष्म बाल भी दण्ड सरीखे ।

देखहिं देखि कार्क के अन्दर,
खोज कोशिका है अति सुन्दर ।

 काया की जिससे भयी रचना,
राबर्ट हुक का था यह सपना ।

टेलिस्कोप का नाम है प्यारा,
मुट्ठी में ब्रम्हाण्ड है सारा ।

 गैलिलियो ने ऐसा जाना,
अविष्कार परम पुराना ।

विद्युत है चुम्बक की दाता,
सुंदर कथन मनहिं हर्षाता ।

 पर चुम्बक से विद्युत आई,
ओर्स्टेड की कठिन कमाई ।

ओम नियम की कथा सुहाती,
धारा विभव है समानुपाती ।

 एहि सन् उद्गगम करै विरोधा,
लेन्ज नियम अति परम प्रबोधा ।

चुम्बक विद्युत देखि प्रसंगा,
फैराडे मन उदित तरंगा ।

 धारा उद्गगम फिरि मन मोहे,
मान निगेटिव फ्लक्स के होवे ।

जय जगदीश सबहिं को साजे,
वायरलेस अब हस्त बिराजै ।

अलेक्जेंडर फ्लेमिंग आए,
पैसिंलिन से घाव भराये ।

आनुवांशिकी का यह दान,
कर लो मेण्डल का सम्मान ।

 डा रागंजन सुनहु प्रसंगा,
एक्स किरण की उज्ज्वल गंगा ।

मैक्स प्लांक के सुन्दर वचना,
क्वाण्टम अंक उन्हीं की रचना ।

फ्रैंकलिन की अजब कहानी,
देखि पतंग प्रकृति हरषानी ।

डार्विन ने यह रीति बनाई,
सरल जीव से सॄष्टि रचाई ।

परि प्रकाश फोटान जो धाये,
आइंस्टीन देखि हरषाए ।

षष्ठ भुजा में बेंजीन आई,
लगी केकुले को सुखदाई ।

देखि रेडियो मारकोनी का,
मन उमंग से भरा सभी का ।

कृत्रिम जीन का तोहफा लैके,
हरगोविंद खुराना आए ।

ऊर्जा की परमाणु इकाई,
डॉ भाषा के मन भाई ।

थामस ग्राहम अति विख्याता,
गैसों के विसरण के ज्ञाता ।

जो यह पढ़े विज्ञान चालीसा,
देइ उसे विज्ञान आशीषा ।

बोलो विज्ञान की जय।

Monday, 18 December 2017

Arakshan ka karan

उदय एक भारतीय
आरक्षण की जड़ हजारो जातियाँ है अर्थात जातिप्रथा है कानून बना कर जातिप्रथा खत्म करदो और उसके बाद चाहे आरक्षण खत्म कर दो किसी को कोई ऐतराज नहीँ होगा जातिप्रथा खत्म हो जाएगी तो आरक्षण खत्म जातिगत झगढ़े खत्म जातिगत राजनीति बंद जाति देखकर जाँच होनी बंद जाति देखकर फैसले सुनाने बंद जाति देखकर शादियाँ होनी बंद व जातियाँ देखकर CBI जाँच करानी भी बंद हो जाएगी जैसे की प्रद्युम्म ठाकुर की हत्या की CBI जाँच कराने के आदेश तुरंत दे दिए गये थे और दलित बिँदी कुमारी के परिवार की हत्या व बिँदी कुमारी पर अत्याचार की CBI जाँच के आदेश अब तक नहीँ दिए गये जातिप्रथा खत्म हो जाएगी तो जातिगत अत्याचार भी बंद हो जाएगे जातिप्रथा खत्म होने से एक नहीँ कई फायदे है कुछ लोग इतने कमीने, दोगले और नीच किश्म के है आरक्षण खत्म करने की बात तो करते हैं मगर जातिप्रथा खत्म करने की बात नहीँ करते ।

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Thursday, 6 July 2017

मूलनिवासी बहुजन समाज के एक साथी को मेरा जवाब

उदय एक भारतीय
मूलनिवासी बहुजन समाज के  एक साथी को  मेरा जवाब ,
जो चर्चित ब्राह्मणवादी  लोगों के साथ  फोटो खिंचवाकर  समाज के बीच में शेयर करता है ।

साथियो मै जैसा भी हूँ ,लेकिन बामसेफ संगठन का एक ईमानदार कार्यकर्ता हूँ। बामसेफ संगठन मे एक कार्यकर्ता के रूप मे मैंने यही सीखा है कि “हमारी सभी समस्याओं का मूल कारण हमारी अज्ञानता है (Ignorance is root cause of suffering)। ऐसा तथागत बुद्ध का मानना था। ऐसा ही मत राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले का भी था। उन्होने कहा है कि

“विद्या बिन मति गई,
मति बिन नीति गई,
नीति बिन गति गई,
गति बिन वित्त गया,
वित्त बिन शुद्र पतित हुए,
इतना घोर अनर्थ मात्र एक अविद्या के कारण हुआ "

इसलिए बाबा साहेब ने भी अपने आदेश मे मूलनिवासी बहुजन समाज को एजुकेट/ शिक्षित करने का सन्देश दिया. (These are final words of advice to you, Educate, Agitate, Organise and faith in yourself and never loose your hope )। शिक्षित करने से मतलब सामाजिक शिक्षा से है। बाबा साहेब ने कहा था ,कि गुलामों को गुलामी का एहसास करा दो वह अपनी गुलामी कि जंजीरे स्वयं तोड़ देगा (Tell the slaves that he is slaves and he will revolt against slavery)”।

इसलिए मेरे पास जो भी बुद्धि, हुनर, कीमती समय और थोड़ा-बहुत पैसा है ,वह समय और वह हुनर और संसाधन मै अपने मूलनिवासी बहुजन समाज मे फुले-अंबेडकर की विचारधारा के प्रचार – प्रसार के लिए लगाता हूँ।

 मै अपना प्रचार नहीं करना चाहता हूँ बल्कि मै अपने मूलनिवासी बहुजन समाज के महापुरुषों की विचारधारा का और वह भी केवल मूलनिवासी बहुजन समाज मे प्रचार करता चाहता हूँ।

 मैंने देखा है ,कि मूलनिवासी बहुजन समाज के जो लोग अपना प्रचार –प्रसार पर ध्यान केन्द्रित किए  रहते है ,वे लोग प्रचारित होने के बाद उचित दाम मे दुश्मनों के यहा बिक गये है या बिक जाते है।

मैं यह जानता हूँ कि जो भी लोग महापुरुषों की विचारधारा का और वह भी केवल मूलनिवासी बहुजन समाज मे प्रचार करने के बजाय अपने प्रचार के लिए येन,केन प्रकारेंन लालायित रहते है ,वही लोग संगठन के लिए खतरनाक होते है। उदितराज से लेकर पुनिया तक का उदाहरण सामने है।

कोई भी व्यक्ति कोई फोटो क्यों शेअर करता है।

सकारात्मक उद्देश्य से कि देखो तो मै आज अपने मूलनिवासी बहुजन समाज के कार्यक्रम मे गया था और मैंने अपने समाज को जागरूक किया। इससे समाज मे कार्य करने वाले अन्य लोगो को भी प्रेरणा मिलती है और वह भी अपने मूलनिवासी बहुजन समाज के कार्यक्रम मे जाने के लिए प्रेरित होते है  और वहाँ जाकर अपने समाज को जागरूक करते है।

नकारात्मक उद्देश्य से लोग तथाकथित ऊंची जातियो के नेताओ के साथ या फिर फुले-अंबेडकर विरोधी विचारधारा के आइकोन के साथ जाते है और उनके साथ फोटो खिचवाते है और समाज मे  उस फोटो  को शेअर करते है ,कि मै बहुत पोपुलर हूँ और इतना कि मै आप लोग तो बहुत सामान्य लोग हो ,मेरी पहुँच तो वहाँ तक है। इसलिए तुम भी ,मेरा मान सम्मान करो। इससे नए लोगो मे न केवल नेगेटिव संदेश जाता है, बल्कि हमारे विरोधियों का भी समाज मे प्रचार होता है। हा अगर वहाँ जाकर समाज हित मे
कोई सार्वजनिक निर्णय करा देते है ,तो बड़ी खुशी होती , नहीं तो भोजपुरी मे कहावत है कि,”सटला त गइला”।  इसलिए मान्यवर कांशी ने कहा था कि शेर बकरी के पास जाये या बकरी शेर के पास शिकार हमेशा बकरी का होता है। एक और बात  समाज को शेर बनाने की जरूरत है ,न कि केवल व्यक्तिविशेष को। क्योकि अगर समाज शेर नहीं बन सका तो ,कोई व्यक्तिगत कितना भी ताकतवर बन जाय, लेकिन उसकी ताकत अंत मे समाज के ताकत से ही नापी जाएगी। है। ultimately social structure is power structure hence make society strong instead of individuals
जय भीम जय मूलनिवासी

हरिजन' शब्द की उत्पति

उदय एक भारतीय
*हरिजन' शब्द की उत्पति*
पहले की बात है, मंदिर में पंडित पदारी हुआ करते थे । उस समय अनुसूचित जाति की पहली संन्तान यदि बेटी होती थी तो उसे पंडित 10-12 साल मे ले जाते थे ।और उसे दान की कन्या समझ कर घर के लोग दान कर देते थे
जब की घर के लोग सब जानते थे कि उसके साथ बहुत गलत होगा । मगर अन्ध विश्वास में बंधे हुये थे। घर के लोग समझ रहे थे कि भगवान को उसकी बेटी की जरूरत है इस कारण भगवान उसे पहले बेटी बना कर भेजा है ।
मंदिर मे जाकर उस अनुसूचित जाति मासूम की हालत क्या हो जाती है।
देखो उस अनुसूचित जाति बेटी को मंदिर मे रखी पत्थर की मूरत से शादी करवाई जाती थी। फिर मंन्दिर के सभी पंडितो के वे लड़की पैर दबाती थी ।और रात मे उन पंडितो के बिस्तर की सेज बनती थी ।
12 साल की बच्ची के साथ बड़े बूढ़े पंडित अपनी  हवस को पूरी करते थे
जब वह लड़की मना करने की हिम्मत करती तो उससे कहा जाता की भगवान ने इसी काम के लिये उसे भेजा है । और वह बेचारी पंडितो को नहलाती उनके साथ सेक्स करती न चाहते हुये भी और उसी दलित लड़की का नाम देवदासी दिया ताकि उससे जो भी सन्तान हो उस पर पंडित का नाम न जुड़े और उस सन्तान को भगवान की सन्तान का नाम दिया ताकि कोई उगली न उठा सके उस असहाय बेचारी अनुसूचित जाति बेटी से जो महान्तो की अवैध सन्तान उत्पन होती थी । उसका नाम *''हरिजन''* पड़ा

मै ऐसे भगवान पर थूकता हू जो अपना  नाम देकर उस मासूम के साथ इतना बड़ा अत्याचार करवाता रहा दोस्तो जरा सोच कर दोखो क्या उस भगवान को इतने बड़े अत्याचार को रोकना नही चाहिये था।
आज का एक आम आदमी भी इस नियम का विरोध करता इसका मतलब क्या भगवान ही सबसे बड़ा अत्याचारी था ।
इसका मतलब भगवान कही भी नही था । भगवान के नाम पर पंडित लोग अपने फायदे के लिये दलितों को हमेशा सताया है।
यदि भगवान कही था तो उस भगवान से बड़ा कमीना लुच्चा घटिया कोई नही था ।
दोस्तो मुझे तो आज भी उन अनुसूचित जातियो के ऊपर शर्म आती है ।
जो घर मे लड़का हुआ तो उसका नाम रखवाने बिना पढ़े लिखे पंडित के पास जाते है और वह पंडित चैतू दुखिया नाम देता है ।अरे भाइओ जरा सोचो
 जीवन भर तुमको देख भाल करनी है
अपने हिसाब से अच्छा नाम रखो आओ सभी मिलकर ऐसे अन्धविश्वास
को दूर करे !और जीवन की नयी ज्योति जलाए।

दूसरे  ग्रुप मे भेजे!                              
Jai Bheem jai bharat jai mool nivasi

Tuesday, 13 June 2017

केजरीवाल जी कभी भी 85 % आरक्षण के लिए आंदोलन नही चलाएंगे

केजरीवाल जी कभी भी 85 % आरक्षण के लिए आंदोलन नही चलाएंगे ।

क्योंकि केजरीवाल जी कुल मिलाकर सवर्ण हिंदुओं की ही सत्ता को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे है ।

केजरीवाल जी सिर्फ नौटँकी और ड्रामा ही करते हैं, लेकिन नौटँकी और ड्रामों  से दंगे फसाद नही रोके जा सकते ।

नौटँकी और ड्रामों से  ब्राह्मणवाद तथा बेरोजगारी भी खत्म नही किये जा सकते ।

सच यही है, कि SC, ST, OBC और मुस्लिम समाज के लोगों के लिए 85 % आरक्षण लागू किये बिना भारत में कोई भी क्रान्ति नही हो सकती ।

और केजरीवाल जैसे नेता कभी भी 85 % आरक्षण लागू नही करेंगे ।

इसीलिए केजरीवाल जैसे ड्रामेबाज़ों से बचिए ।

देशभर के विभिन्न राज्यों में स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां जारी है ।

देशभर के विभिन्न राज्यों में स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां जारी  है ।

इन छुट्टियों के दौरान बहुजन समाज के शिक्षक अनेक ऐतिहासिक और पर्यटक स्थलों की सैर कर रहे हैं, यह खुशी की बात है कि अपनी जिंदगी को तरोताजा रखना चाहिए । 

जिंदगी में ताजगी के लिए ऐसा जरूरी है ,लेकिन  सभी  साथी ,शिक्षकगण साथी पे बेक टु सोसायटी की तरफ भी ध्यान दें । 

जिन महापुरुषों की बदौलत हमें शिक्षक बनने का मौका मिला ,क्या हम वह दायित्व निभा पा रहे हैं ? 

 जो त्याग और समर्पण हमारे महापुरूषों ने हमारे लिए किया ,जिसकी वजह से आज हम शिक्षक हैं ,कर्मचारी हैं या नेता है ,तो क्या हम ऐसा त्याग और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए कर रहे हैं  ?  

या 

मनोरंजन करके और अपने परिवार का ,या अपना ही पेट भरने का काम कर रहे हैं ? 

 यदि ऐसा ही हमने किया साथियों तो आने वाला समय माफ नहीं करेगा । 

इस देश में गैरबराबरी की व्यवस्था मौजूद है वह हमें बर्बाद कर देगी और हम यह घूमना फिरना सब भूल जाएंगे तो इसलिए साथियों गैरबराबरी की व्यवस्था के खिलाफ लड़ो और इस को जड़ से उखाड़ फेंको । 

जय भीम जय मूलनिवासी।

भीम गीत....

पानी-मंदिर दूर थे, मुश्किल कलम-किताब |
दांव लगा जब भीम का, कर दिया सब हिसाब ||३||

ऊँचेपन की होड़ में, नीचे झुका पहाड़ |
कदम पड़े जब भीम के, हो गया शुद्ध महाड़ ||४||

पारस ढूँढें भीम को, आँख बहाये नीर |
पढे-लिखे हैं सैंकड़ों, नही भीम सा वीर ||५||

दिल में सब जिंदा रखे, बुद्ध, फुले व कबीर |
छोड़ वेद-पुराण सभी, भीम हुए बलवीर ||६||

झूठ और पाखंड की, सहमी हर दुकान |
भेदभाव से जो परे, रच दिया संविधान ||७||

रोटी-कपड़ा-मकान का, दिया हमें अधिकार |
पूज रहे तुम देवता, भूल गये उपकार ||८||

भेदभाव का विष दिया, सबने कहा अछूत |
जग सारा ये मानता, था वो सच्चा सपूत ||९||

भीम तब दिन-रात जगे, दिया मान-सम्मान |
लाज रखो अब मिशन की,अर्पित कर दो जान ||१०||

👶🏻 ज्योतिष 👼🏿......🤑 Let's know about truth

👶🏻 ज्योतिष 👼🏿

🤑 Let's know about truth

अक्सर अख़बार पढ़ते समय इसमें दिए गए ज्योतिष कॉलम पर नज़र पड़ ही जाती है । अगर आप डेली नजर डालते हैं (चूंकि आप इस मानसिक रोग से पीड़ित हैं) तो आप शायद गौर नहीं करते कि जो आज ज्योतिष के बारे में बताया गया होता है वह पिछले सप्ताह या दो तीन हफ्ते पहले पढ़ा हुआ ही लगता है । यानि की हफ्ते दो हफ्ते बाद ज्योतिष कॉलम को थोडा बहुत रद्दो बदल के छाप दिया जाता है , संपादक इस चालाकी पर बहुत कम लोगो की नजर जाती है ।
इन भविष्य वाणियों में अधिकतर वही बाते होती हैं जिन्हें मनुष्य अपने बारे में सुनना या पढ़ना चाहता है । कौन मनुष्य अपने को सच्चा और उदार नहीं समझता? 
कौन अपने को समझदार और कठिन परिश्रम करने वाला नहीं मानता?कौन नहीं दुखी है ?
कौन नहीं चाहता की कोई ऐसा मिल जाये जो उससे सहानभूति के दो चार शब्द ऐसे कहे की उसके अच्छे दिन आने वाले हैं ? 
व्यक्ति के इस मानसिकता को ज्योतिष अच्छी तरह जानते हैं और जानते हैं की बातो को कैसे घुमाया जाता है । 
इसी कला का प्रयोग कर के वे व्यक्ति की कमजोरी भांप जाते हैं और उसी प्रकार दस बीस मेन पॉइंट्स बना लेते हैं जो अधिकतर व्यक्तियो के जीवन में कॉमन होती हैं । 
ज्योतिषी अच्छे और सुखद दिनों के सब्जबाग तो दिखाते ही हैं उसके साथ उपाय भी करने को बताते हैं ताकि व्यक्ति को यह न लगे की उसके अच्छे दिन आसानी से आ जायेंगे या दुःख इतनी जल्दी मिट जायेंगे । इसके लिए वे विभिन्न उपाय बताते हैं जैसे , रंग बिरंगे और कीमती रत्न पहनना, तिल तेल आदि दान करना , चींटियों - पक्षीयो को दाना डालना , व्रत - पाठ आदि करना । जिससे व्यक्ति को कुछ मेहनत या पैसे खर्च करने पड़े ऐसे उपाय बताये जाते हैं । 

अखबार में तो ज्योतिष का कॉलम इसलिए होता है की संपादक को पता होता है की उसके लाखो पाठक इस अन्धविश्वास के जाल में उलझें है और वे अख़बार इसी कॉलम के लिए ही लेते हैं ।
परन्तु जो लोग ज्योतिषी के पास जाके जन्मकुंडली, हस्तरेखा आदि दिखवाते हैं ज्योतिषी उनसे भविष्य बताने के ऐवज में मोटी रकम झटक लेता है और ऐसे उपाय बताता है की यदि आपके अच्छे दिन न भी आये या आपके दुःख दूर न भी हों तो आप उस पर धोखा धड़ी का इल्जाम नहीं लगा सके । 
जैसे किसी से कहा की 21  दिन तक ठीक सुबह 5 बाजे आप गाय को रोटी दीजिये , अब कभी बीच में आप ठीक 5 बजे गाय को रोटी न डाल के 5 बज के 1 मिनट पर डालते हैं तो वह कह देगा की आपने ठीक समय पर रोटी नहीं डाली थी इसलिए उपाय फेल हो गया ।

दुखो से मुक्ति पाना और सुखमय जीवन जीने की कामना करना मनुष्य का स्वभाविक गुण है इसमें कोई गलत बात नहीं है  पर इसके लिए फलित ज्योतिष पर भरोसा करना अंधविश्वासियों और एक तरह से निकम्मो का काम है जिन्हें अपने पुरुषार्थ पर भरोसा नहीं रहता । जिन्हें अपनी मेहनत और पुरुषार्थ पर भरोसा नहीं रहता वह भाग्यवादी बन जाता है और कुण्डलियाँ , जन्मपत्री, हस्तरेखा ,ग्रहनाक्षत्र, भविष्यवाणियो पर यकीं करने लगता है और फलित ज्योतिषियों जैसे ठगों के जाल में फंस जाता है ।
*जन्म पत्रिका बनाने वाला-ज्योतिष,*
*जन्म पत्रिका समझाने वाला-ज्योतिष,*
*जन्म पत्रिका से दोष निकालने वाला-ज्योतिष,*
*और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि 
     दोष पर उपाय बताने वाला भी ज्योतिष,*
*वाह क्या धंधा निकाला है ज्योतिषो ने.*
.
*ये धंधा ज्योतिषी के ज्ञान पर नहीं,*
*लोगों के अज्ञान पर टिका है।*

आप ज्योतिष के स्थान पर मुफ्तखोर या पांखडी अथवा परजीवी भी रख सकते हैं!       

आपका कर्तव्य है की आप स्वयं इन फलित ज्योतिषियों ठगों से मुक्त रहें और दुसरो को भी मुक्त रखने की कोशिश करें ।🙏🏻

Monday, 12 June 2017

अधिकांश ब्राह्मण (इस धरती के )शैतान है ।कैसे ?

अधिकांश ब्राह्मण (इस धरती के )शैतान है ।कैसे ?


1) छूत - अछूत किसने बनाय*ब्राह्मण* ने
2 ) एकलव्य का अंगुठा किसने काटा � *ब्राह्मण* ने
3 ) वर्ण व्यवस्था किसने बनाइ *ब्राह्मण* ने
4 ) वर्ण व्यवस्था मे शुद्रों को शिक्षा से वंचित किसने किया *ब्राह्मण* ने
5 ) शुद्रों को 6746 जाती मे किसने बाँटा
*ब्राह्मण* ने ।
6 ) छत्रपती शिवाजी महाराजा को शुद्र कहके राज्य भिषेक का विरोध किसने किया *ब्राह्मण* ने
7 ) छत्रपती शिवाजी महाराज की हत्या किसने की *ब्राह्मण* ने
8 ) मौर्यवंश के अंतिम शासक ब्रुहद्रथ मौर्य की हत्या किसने की *ब्राह्मण* ने
9) भगवान बुद्ध के देश को अन्धविशवास और जाति वर्ण मे किसने बाटा *ब्राह्मण* ने ।
10 ) राष्ट्रपिता जोतीराव फुलें का विरोध किसने किया *ब्राह्मण* ने ।
11 ) माता सावित्रीबाई फुलें को लड़कियों को शिक्षा देने की वजह से गोबर फेक कर किसने मारा *ब्राह्मण* ने ।
12 ) गो हत्या पाप हे, त्रीग्वेद मे विष्णु को गाय की बली देने का आदेश शुद्रों को किसने दिया ।*ब्राह्मण* ने
13)मूलनिवासियोंको गुलाम किसने बनाया � *ब्राह्मण* ने
14 ) डॉ बाबासाहबआंबेडकरका विरोध कौन करता था *ब्राह्मण*
15 ) शुद्रों को मंदिर मे जाने से किसने रोका
*ब्राह्मण* ने
16 ) भारत देश मे मनुस्मुर्ती का कानून किसने लागू किया � *ब्राह्मण* ने
17 ) संत तुकाराम महाराज की हत्या किसने की � *ब्राह्मण*
18 ) मुगलों ने दी हुई गाली हिंदू इसका इस्तमाल करके मुगलों की वफादारी कौन कर रहा है *ब्राह्मण*
19 ) शुद्रों के गले मे मट्का और सर पर चपल किसने रखने लगवाया *ब्राह्मण*
20 ) 52 साल तक किसने भारत देश का तिरंगा नही लहराया 2002 सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से लेहराना शुरू किया।
� *ब्राह्मण* ने ।
इससे साबित है कि भारत के लोगों के दूश्मन केवल और केवल ब्राह्मण हैं अन्य कोई!

RESERVATION IN OTHER COUNTRIES

RESERVATION IN OTHER COUNTRIES


दुनिया के निम्नलिखित देशो में मिलता है आरक्षण (Reservation/Affirmative Action):-
आजकल देश में दलित (OBC, SC & ST) आरक्षण के विरोध मे आंधी सी चल रही है। आरक्षण के खिलाफ बेहूदे और बेतुके तर्क किये जाते है। सबसे पहला तर्क होता है कि दूसरे देशो मे आरक्षण नहीं दिया जाता इसलिये वे देश हमसे ज्यादा प्रगितिशील है जो बिल्कुल गलत है। विदेशो मे भी आरक्षण की पद्धति है। अमेरिका, चीन, जापान जैसे देशों में भी आरक्षण है और इसे ईमानदारी से दिया जाता है।
बाहरी देशों में आरक्षण को Affirmative Action कहा जाता है। Affirmative Action का मतलब समाज के "वर्ण " तथा "नस्लभेद" के शिकार लोगो के लिये सामाजिक समता का प्रावधान है ।
1961 को संयुक्त राष्ट्र की बैठक मे सभी प्रकार के वर्ण, नस्लभेद व रंगभेद के खिलाफ कड़ा कानून बनाया गया। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र में सम्मिलित सभी देशो ने अपने देश के शोषित वर्ग (दलित) की मदद करके उन्हें समाज की मुख्य धारा मे स्थापित करने का निर्णय लिया। इसी फैसले के तहत ही शोषितों और वंचितो को उठाने के लिए अलग अलग देशो ने अपने अपने तरीके से आरक्षण लागु किया है।
ऊपर कहे गए देश अमेरिका, जापान और भारत के अलावा अन्य देशो ने भी आरक्षण दिया है जिन मे से कुछेक निम्नलिखित हैं :-
1. हमारे पडोसी देश पाकिस्तान मे बडी मुश्किल से 5% दलित हैं लेकिन उन्हें ईमानदारी से 6% आरक्षण दिया जाता है।
2. आरक्षण के कारण दक्षिण अफ्रीका टीम में 4 अश्वेत खिलाडियों का चयन जरूरी होता है।
3. अमेरिका में affirmative action) के तहत अश्वेतों को आरक्षण मिला हुआ है। वहां की पिक्चरों में भी अश्वेत कलाकारों का आरक्षण निर्धारित है। वहाँ कोई पिक्चर या विभाग ऐसा नहीं मिलेगा जिसमें अश्वेत/काले न हो। अमेरिका ने तो आज से 155 साल पहले 4 मार्च, 1861 को दलित (अब्राहम लिंकन) को अपना राष्ट्रपति बना दिया था। अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक अश्वेत, मुस्लिम और छोटे तबके के हैं।तभी तो अमेरिका तरक्की की दुनिया में अन्य देशों से काफी आगे हैं। भारत में तो सम्पूर्ण हिस्सेदारी पर कुछे लोग कुंडली मारकर कब्जा जमा रखा है.. इसीलिये वे समाज मे भ्रांति फैलाने के लिए आरक्षण/
हिस्सेदारी का आऐ दिन विरोध करते रहते हैं।
4. ब्राझील में आरक्षण Vestibular नाम से जाना जाता है ।
5. कनाडा में समान रोजगार का तत्व है जिसके तहत फायदा वहाँ के असामान्य तथा अल्पसंख्यकों को होता है ।
6. चीन में महिला और तात्विक अल्पसंख्यको के लिये आरक्षण है ।
7. फिनलैंड मे स्वीडीश लोगो के लिये आरक्षण है ।
8. जर्मनी में जिमनॅशियम सिस्टम है ।
9. इसरायल में Affirmative Action के तहत आरक्षण है ।
10. जापान जैसे सबसे प्रगतिशिल देश में भी बुराकूमिन लोगो के लिये आरक्षण है (बुराकूमिन जापान के हक वंचित दलित लोग हैं )
11. मॅसेडोनिया में अल्बानियन के लिये आरक्षण है ।
12. मलेशिया में भी उनकी नई आर्थिक योजना के तहत आरक्षण लागू हुआ है ।
13. न्यूजीलैंड में माओरिस और पॉलिनेशियन लोगो के लिये Affirmative Action का आरक्षण है ।
14. नॉर्वे के पीसीएल बोर्ड मे 40 % महिला आरक्षण हें।
15. रोमानिया मे शोषण के शिकार रोमन लोगों के लिये आरक्षण है ।
16. दक्षिण आफ्रिका मे रोजगार समता (काले गोरे लोगो को समान रोजगार) आरक्षण है ।
17. दक्षिण कोरिया मे उत्तरी कोरिया तथा चीनी लोगों के लिये आरक्षण है ।
18. श्रीलंका मे तमिल तथा क्रिश्चियन लोगो के लिये अलग नियम अर्थात आरक्षण है ।
19. स्वीडन मे General Affirmative Action के तहत आरक्षण मिलता है ।
अगर इतने सारे देशों में आरक्षण दिया जाता है (जिनमे कई विकसित देश भी शामिल है) तो फिर भारत का आरक्षण किस प्रकार भारत की प्रगति में बाधक है। भारत में तो लोग सबसे ज्यादा जातिभेद के ही शिकार हैं । भारतीय शुद्रो/दलितो को तो हजारों सालों से उनके मौलिक अधिकारों से ही वंचित कर गुलाम बना कर रखा। तो फिर भारतीय दलितो को आरक्षण क्यों न मिले?
जब तक भारत के सभी जाति धर्म के लोग शिक्षा, सेना, सभी प्रकार की नौकरी, संसाधन तथा सरकार में समान रुप से प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे , तब तक देश वांछनीय प्रगति नहीं कर पाएगा। अगर सभी देश प्रगति के लिए सभी लोगों को साथ लेकर चल रहे हैं तो फिर भारत क्यों नहीं।

जय भीम.....जय संविधान.....जय भारत

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Saturday, 10 June 2017

साधू -संत और सैनिक

उदय एक भारतीय
*साधू -संत और सैनिक-.....*

भारत में छोटे बड़े मिला के लगभग एक करोड़ के करीब तथाकथित साधू , संत, आचार्य, पंडा, पुजारी, महात्मा आदि होंगे जिनका मुख्य कार्य ही  धर्म के नाम  लेकर बिना  श्रम  अपना पेट भरना होता है ।

अधिकतर साधू-संत जनता को तरह तरह के प्रवचन और कथा सुना के जिनका शायद ही ये खुद अपने जीवन में पालन करते हों उन प्रवचनों और कथाओं के सुनने के एवज में मोटा धन लेते हैं

यह भी हास्यास्पद होता है की एक तरफ तो ये साधू संत अपने प्रवचनों में जनता से त्याग और अपरिग्रह  की बात करते हैं , धन को मोहमाया बताते हैं किन्तु खुद  बड़ी बड़ी गाड़ियॉ में घूमते और आलीशान बंगलो , मठो / आश्रमो में निवास करते हैं । स्वयं से धन और पुजवाने का मोह नहीं त्यागा जाता इनसे।

फ़र्ज़ी राष्ट्रवादियो की आज भारत की दो मुख्य समस्याएं हैं , एक तो चीन और पाकिस्तान की सीमाओ पर आक्रमण का खतरा

यदि इन एक करोड़ साधू संतो आदि  का सही उपयोग किया जाए तो भारत की ये दोनों समस्याये जड़ से ख़त्म हो सकती हैं ।

देश को बिना किसी खर्च के अच्छे सैनिक और अच्छे श्रमिक मिल सकते हैं ।

यंहा सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है की हर साधू संत कुछ ऐसी विशेषता रखने का दावा करता है जो आम इंसानो में नहीं मिलती , इस दृष्टि से इन साधू संतो की एक ऐसी फ़ौज तैयार हो सकती है जो लाजबाब होगी

1- लगभग  हर साधू संत आदि यह मानता है और  उपदेश देता है की शरीर नाशवान है तथा  आत्मा अजर- अमर । ये कहते हैं की  इंसान को भौतिक शरीर का मोह नहीं करना चाहिए । ये बाते एक सैनिक जिसके लिए पग पग पर जिंदगी को खतरे में डालना होता है उसके लिए प्रेरणादायक होगी । चुकी साधू संत मौत से नहीं डरेंगे और दुगने उत्साह से लड़ेंगे ,इन्हें न जीवन का मोह होगा और न मौत का भय । इसलिए सैनिको के रूप में साधू संतो को देशभक्ति का परिचय देने का सुअवसर मिलेगा।

2- साधू संतो को सैनिक बना के देने से एक बहुत बड़ा लाभ यह मिलेगा की सेना पर होने वाले खर्चो में कटौती होगी । साधू संत त्यागी और अपरिग्रही कहे जाते हैं , वे धन और पैसा को मोहमाया मानते हैं परिणाम स्वरूप् उन्हें पैसे यानि सेलरी की कोई इच्छा नहीं होगी न ही पेंशन की टेंशन होगी । सरकार को युद्ध में मारे गए सैनिक के परिवार वालो को आर्थिक सहायता देनी होती है , रिटायर होने पर पेंशन देनी पड़ती है । साधू संतो के बारे में सरकार को इन समस्याओ की चिंता नहीं करनी पड़ेगी ।

3- जैसा की साधू संत दावा करते हैं की उनकी आवश्यकताये सिमित होती है , साधू संत धूप, बरसात, सर्दी गर्मी सब सह सकते हैं । इसलिए एक साधू सैनिक रेगिस्तान में भी उतनी ही सफलता से लड़ेगा जितना की लद्दाख में ।

4- साधू संत गृह त्यागी होते हैं,रिश्ते नाते उनके लिए बंधन होते है । साधू संतो को सैनिक बना देने से बहुत बढ़ा लाभ यह होगा की वे युद्ध के मैदान में निश्चित होके लड़ सकते हैं , उन्हें माँ बाप, भाई बहन, पत्नी बच्चों की याद नहीं आएगी । अधिकतर साधू संत ब्रह्मचर्य का उपदेश देते हैं तो यह बड़ा अच्छा रहेगा की सैनिक बन के उनका ब्रह्मचार्य भी बचा रहेगा ।

5- साधू संतो को सैनिक बनाने के विपक्ष में लोग यह तर्क दे सकते हैं की उनका मानसिक स्तर युद्ध के अनुकूल नहीं होता । पर यदि देखेंगे तो सभी साधू संतो आदि ने युद्ध को आवशयक बताया है ,ग्रन्थ जिन्हें वे दिन रात रटते रहते हैं उनमे युद्ध भरे पड़े है ।  फिर जब कोई साधारण मनुष्य सैनिक में भर्ती होता है तो उसका मानसिक स्तर भी युद्ध के अनुकूल नहीं होता , सेना उसे ट्रेनिंग देती है हथियार चलाने का और युद्ध लड़ने का। साधू संतो को भी ट्रेनिंग देके उन्हें अच्छा योद्धा बनाया जा सकता है ।

यदि सरकार इस तरफ विचार करे तो साधू संतो के रूप में  एक कम खर्चे वाली और जबरजस्त युद्ध करने वाली  सेना तैयार हो सकती है जिससे देश का भी भला होगा और बिना श्रम के सभी भौतिक लाभ लेने वाले साधू -संतो का भी ।


अब थोड़ा आप भी सोचीये

साला सोच सोच कर दिमाग हिल गया पर कुछ कही भी कोई ढंग की कड़ी ही नहीं मिल रही है 

अब थोड़ा आप भी सोचीये 

बच्चे पैदा करने के अजीबो गरीब तरीके जानिए ब्राह्मण कैसे बच्चों को पैदा करवाने की Technology बताते है जो संसार में कही किसी देश में नहीं पायी जाती 

ब्रह्मा ने ब्राह्मण को अपने मुँह से पैदा किया 
छत्रिय को भुजाओ से 
वैश्य को जाँघो से और
शुद्र को अपने पैरों से 

राम लक्षमण भरत शत्रुघ्न उनकी माताओ के द्वारा खीर खाने से पैदा हुए 

राजा जनक का एक नग्न स्त्री को देखकर वीर्य टपक गया जो धरती में गिरा अगले दिन सीता एक बलीहारे के खेत में पायी गयी 

हनुमान के पसीने से एक मादा मगरमच्छ pregnant हो गयी और उसने मगरधवज को जनम दिया 

हनुमान की को पवन ने हनुमान की माता अंजनी को गर्भवती किया हनुमान हवा में पैदा हो गए यानि बैटिंग किसी और की छक्का कोई और मार गया

कमल से ब्रह्मा पैदा हुए 
फिर ब्रह्मा ने अपनी पार्शव ( पसलिया ) रगड़ी तो दाई पसलियों से विष्णु और बाई से शिव पैदा किया 
इसी कड़ी में शिव ने अपने माथे का पसीना पोछकर जमीन की तरफ झटका तो विष्णु और अपनी जाँघ रगड़ी तो ब्रह्मा पैदा हुए 

पता नहीं किसने किसको पैदा किया 
और ब्राह्मण क्या साबित करना चाहते है 

पार्वती ने मिट्टी से गणेश की निर्माण किया
विष्णु की नाक से सूअर का जन्म हुआ
पांडवो की माता जंगल में गयी तो पाँच पांडवो का जन्म हुआ 

असुरो के अतिक्रमण की वजह से त्रिदेवो ब्रह्मा विष्णु महेश की बोहे तन गयी और तीनो देवो के मुख से एक तेज निकला जो एक हो गया और वैष्णवी (दुर्गा ) का जन्म हुआ ???

" "जागो बहुजन जागो" जिन पाखंडियों की पाखंडी व्यवस्था ने तुम्हें सदियों तक जानवर बना रखा,
धिक्कार है तुम पर अगर ऐसी गंदी व्यवस्था को आज भी मान रहे हो तो।

अब यार मुर्ख बनाने की और बनने की भी कोई हद भी होती है कही?

मूलनिवासी इतिहास

sir Manohar barkade ji ki wall se मूलनिवासी इतिहास *ये है भारत का असली इतिहासl बाकि सब झूठ हैl* इस पोस्ट के अन्दर दबे हुए इतिहास के प...