*लक्ष्मी का इतिहास: तथा दिपावली में लक्ष्मी का महत्व*
दीपावली के दिन कहा जाता है कि धन कि देवी लक्ष्मी लोगों के घरों में आती है। इस लिए लोगों को अपने घरों में दीपक जलने चाहिए। ये बात भी तर्क संगत नहीं मानी जा सकती क्योकि लक्ष्मी का वाहन उल्लू है जिसको उजाले में कुछ भी दिखाई नहीं देता। तो लक्ष्मी का उल्लू उज्जाले में कैसे उड़ कर घर में आ सकता है? लक्ष्मी के बारे जानकारी मिलती है कि लक्ष्मी समुद्र मंथन से पैदा हुई थी वो भी जवानी में। उसका बचपन कैसे बिता? बचपन में कहा रही? ये बात किसी को पता नहीं है लेकिन ये बात सभी को पता है कि लक्ष्मी ने कई अवतार लिए जैसे सीता, रुक्मणी आदि। अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो ये असंभव सी बात है। कोई भी इंसान इतने सारे अवतार कैसे ले सकता है? असल में लक्ष्मी के बदचलन और आवारा औरत थी, जिसके साथ विष्णु ने विवाह किया और उसके शारीरिक सम्बन्ध बहुत से आर्यों के साथ थे। जिनको कालांतर में ब्राह्मणों ने देवता घोषित कर दिया, लक्ष्मी भेष बदल बदल कर सभी आर्यों कि हवस को पूरा करती थी। उसी को बाद में अवतार कह कर प्रचारित किया गया।
ऊपर लिखित सभी घटनाओं से सिद्ध होता है कि जब जब विदेशी आर्यों ने मूल निवासी नागों के राजाओं पर विजय प्राप्त की तब तब दीपावली बनाई गई। और भारत के सारे मूल निवासी बिना सच जाने विदेशी युरेशियनों की विजय को आज भी पुरे हर्षो उल्लास से मानते है। अब सारे मूल निवासी सोचो क्या दीपावली जैसे त्यौहार हम मूल निवासियों को बनाने चाहिये? क्या हमे हमारे पतन के कारणों का जश्न बनाने का अधिकार है? क्यों ना हम सब मिल कर इन मूल निवासियों पर युरेशियनों की विजय के त्योहारों को बनाना बंद कर दे? हमारी पूरी टीम के लोगों का तो यह मत है कि ऐसे त्योहारों का बहिष्कार होना चाहिए।
🙏🙏जय भीम नमो बुद्धाय🙏🙏
*जागो और जगाओ अंधविश्वास पाखंडवाद भगाओ समाज को जागरुक करें शिक्षित करो संगठित करो*
दीपावली के दिन कहा जाता है कि धन कि देवी लक्ष्मी लोगों के घरों में आती है। इस लिए लोगों को अपने घरों में दीपक जलने चाहिए। ये बात भी तर्क संगत नहीं मानी जा सकती क्योकि लक्ष्मी का वाहन उल्लू है जिसको उजाले में कुछ भी दिखाई नहीं देता। तो लक्ष्मी का उल्लू उज्जाले में कैसे उड़ कर घर में आ सकता है? लक्ष्मी के बारे जानकारी मिलती है कि लक्ष्मी समुद्र मंथन से पैदा हुई थी वो भी जवानी में। उसका बचपन कैसे बिता? बचपन में कहा रही? ये बात किसी को पता नहीं है लेकिन ये बात सभी को पता है कि लक्ष्मी ने कई अवतार लिए जैसे सीता, रुक्मणी आदि। अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो ये असंभव सी बात है। कोई भी इंसान इतने सारे अवतार कैसे ले सकता है? असल में लक्ष्मी के बदचलन और आवारा औरत थी, जिसके साथ विष्णु ने विवाह किया और उसके शारीरिक सम्बन्ध बहुत से आर्यों के साथ थे। जिनको कालांतर में ब्राह्मणों ने देवता घोषित कर दिया, लक्ष्मी भेष बदल बदल कर सभी आर्यों कि हवस को पूरा करती थी। उसी को बाद में अवतार कह कर प्रचारित किया गया।
ऊपर लिखित सभी घटनाओं से सिद्ध होता है कि जब जब विदेशी आर्यों ने मूल निवासी नागों के राजाओं पर विजय प्राप्त की तब तब दीपावली बनाई गई। और भारत के सारे मूल निवासी बिना सच जाने विदेशी युरेशियनों की विजय को आज भी पुरे हर्षो उल्लास से मानते है। अब सारे मूल निवासी सोचो क्या दीपावली जैसे त्यौहार हम मूल निवासियों को बनाने चाहिये? क्या हमे हमारे पतन के कारणों का जश्न बनाने का अधिकार है? क्यों ना हम सब मिल कर इन मूल निवासियों पर युरेशियनों की विजय के त्योहारों को बनाना बंद कर दे? हमारी पूरी टीम के लोगों का तो यह मत है कि ऐसे त्योहारों का बहिष्कार होना चाहिए।
🙏🙏जय भीम नमो बुद्धाय🙏🙏
*जागो और जगाओ अंधविश्वास पाखंडवाद भगाओ समाज को जागरुक करें शिक्षित करो संगठित करो*
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